0 ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति ने जिला खनिज संस्थान न्यास (कोरबा) के भवनों का संचालन प्रभावित सहकारी संस्था को सौंपने की मांग की
कोरबा। ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति ने जिला खनिज संस्थान न्यास (DMFT) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि न्यास अपने मूल उद्देश्य से भटक गया है और प्रत्यक्ष रूप से खदानों से प्रभावित एवं विस्थापित परिवारों की उपेक्षा कर रहा है समिति ने इस संबंध में राज्य स्तरीय निगरानी समिति के अध्यक्ष (मुख्य सचिव) और कोरबा कलेक्टर को एक विस्तृत आवेदन सौंपा है ।
समिति के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने बताया कि मूल उद्देश्य से भटकाव खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 और प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (PMKKKY) के तहत गठित DMFT का मुख्य उद्देश्य खनन प्रभावित व्यक्तियों और क्षेत्रों का कल्याण है आंकड़ों की अनदेखी
न्यास नियम, 2015 के अनुसार, DMFT का कार्य केवल प्रभावितों के हित में होना चाहिए, परंतु दस वर्षों के बाद भी प्रत्यक्ष प्रभावित परिवारों की आधिकारिक सूची तक तैयार नहीं की गई है विकास कार्यों का अभाव लगभग ₹4000 करोड़ की भारी-भरकम राशि न्यास मद में जमा होने के बावजूद, SECL की कोयला खदानों हेतु विस्थापित 15 ग्रामों के पुनर्वासित नगरों (जैसे सर्वमंगला नगर, वैशाली नगर आदि) में अंग्रेजी माध्यम शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार या प्रशिक्षण की कोई स्थायी सुविधा स्थापित नहीं की गई है ।
DMFT भवनों के संचालन पर बड़ा विवाद
समिति ने DMFT निधि से निर्मित भवनों के गैर-लाभकारी प्रकृति (Non-profit nature) के उल्लंघन पर कड़ी आपत्ति जताई है संपत्ति का दुरुपयोग
आवेदन में कहा गया है कि DMFT मद से बने टूरिस्ट कॉटेज, कन्वेंशन हॉल, सांस्कृतिक भवन, शैक्षणिक संस्थान आदि गैर-प्रभावित व्यक्तियों की सोसाइटी/समिति को संचालन हेतु हस्तांतरित कर दिए गए हैं, जो छत्तीसगढ़ पब्लिक ट्रस्ट एक्ट, 1951 की धारा 14 (Misappropriation of Trust Property) का स्पष्ट उल्लंघन है लाभार्थियों की उपेक्षा यह गंभीर है कि ट्रस्ट की संपत्ति का उपयोग केवल उसी उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए जिसके लिए ट्रस्ट की स्थापना की गई थी (यानी खनन प्रभावितों के लाभ के लिए) ।
सहकारी संस्था को हस्तांतरण
समिति ने मांग किया है कि ऐसे सभी संस्थान जिसका निर्माण डीएमएफटी से कराया गया है उसको भूविस्थापित सहकारी समितियों को हस्तांतरित किया जाए नियुक्ति और संचालन में प्राथमिकता
समिति ने यह भी मांग की है कि न्यास नियम, पैरा–22(घ) के अनुसार शिक्षकों की नियुक्ति व आवागमन की व्यवस्था DMFT मद से की जाए, जैसा कि वर्तमान में वृद्धाश्रम, विकलांग स्कूल, छात्रावास आदि में कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए किया जा रहा है ।
सपुरन कुलदीप ने अंत में प्रशासन से विनम्र अनुरोध किया है कि खनन प्रभावित परिवारों के हित में DMFT निधि से निर्मित भवनों का संचालन प्रत्यक्ष प्रभावितों की सहकारी संस्था को सौंपने हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएं, ताकि न्याय की पुनर्स्थापना हो सके और यह योजना अपने वास्तविक उद्देश्य को प्राप्त कर सके।




