0 एक साल से भटक रही मां का छलका दर्द, बहे आँसू
कोरबा,पोड़ी-उपरोड़ा। गरीबी में लाचारी के बोझ तले दबी एक माँ की मजबूरी और सिस्टम की लापरवाही ने इंसानियत को झकझोर दिया है। कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकास खंड अंतर्गत ग्राम बंजारी निवासी अमीषा धनवार अपने बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र में नाम सुधार करवाने के लिए कई बार बंजारी कार्यालय के चक्कर काटती रहीं। अंततः जब प्रमाण पत्र बना, सुधार की जरूरत पड़ गई। सुधार के लिए एक साल से भटक रही मां से अवैध रूप से पैसे की मांग की गई।
अमीषा आर्थिक रूप से बेहद कमजोर है। पैसे न होने की स्थिति में उसने अपने घर का चावल बेचकर राशि की व्यवस्था की, ताकि वह अपने बच्चे का प्रमाण पत्र हासिल कर सके। प्रमाण पत्र को लेकर जब वह संबंधित कार्यालय पहुंची, तो वहाँ मौजूद एक अन्य व्यक्ति से बातचीत के दौरान वह अपने दर्द को छुपा नहीं सकीं और आँसू छलक पड़े, उस व्यक्ति ने इस महिला क़ा वीडियो बना डाला। महिला ने दर्द से छलकते हुए कहा कि “एक जन्म प्रमाण पत्र सुधरवाने के लिए कितना भटकना पड़ा, और जब बना, तो पैसे भी देने पड़े। सिस्टर ने कहा कि बिना पैसा लिए प्रमाण पत्र नहीं देगी।
फिलहाल, यह सिर्फ अमीसा कि ही बात नहीं, यहां ना जाने कितनी अमीषा से ऐसे मजबूर कर पैसे की मांग की जाती है। ग्रामीण क्षेत्र में लोग किसी तरह ग़रीबी में जीवन ज़ी रहे हैं और ग़रीबी क़ा फायदा उठाकर ऐसे शासकीय कर्मचारी फल-फूल रहे हैं, काम कराने की गरज ही इनकी मजबूरी है। महिला ने बताया कि उनकी तकलीफ क़ा कारण बंजारी में कार्यरत ANM सिस्टर है जिसने जन्म प्रमाण पत्र के नाम पर पैसे की मांग की। इस पूरे वाकये का वीडियो सत्यसंवाद से भी साझा किया गया है , जिसमें एक मां की मजबूरी ने पढ़ी-लिखी व नौकरीपेशा किन्तु कथित तौर पर संवेदनहीन महिला के आगे घुटने टेक दिए। बेहतर तो तब होता जब मजबूर मां को निःशुल्क मदद मिलती तो उसे चावल न बेचना पड़ता। चावल बेचने के बाद उसके हालात को समझा जा सकता है।