कोरबा। जिले के ग्राम कोथारी में सूदखोरी का जाल गहराता जा रहा है। अब इसका शिकार एक सरकारी शिक्षक हुआ है। ग्राम के ही विष्णु प्रसाद लहरे पर ऊँचे ब्याज पर पैसा उधार देने, झूठा केस दर्ज कराने और मानसिक प्रताड़ना देने के गंभीर आरोप लगे हैं।
पीड़ित विजेंद्र कुमार पाटले, जो कि शिक्षा विभाग में शिक्षक हैं, ने बताया कि उन्होंने अपनी बहन की शादी और घर में आवश्यक कार्य के लिए जून 2022 में विष्णु लहरे से ₹5 लाख रुपये का कर्ज लिया था। उस दौरान विष्णु लहरे ने सुरक्षा के नाम पर 6 ब्लैंक चेक, एटीएम कार्ड, पासबुक और स्टाम्प पेपर अपने पास रख लिए थे।
विजेंद्र के मुताबिक, उन्होंने करीब छह माह बाद ₹1.44 लाख रुपये ब्याज के रूप में चुका दिए और 8 जुलाई 2024 को खेत बेचकर पूरा मूलधन नगद लौटा दिया। इसके बावजूद विष्णु लहरे ने जानबूझकर चेक बाउंस करवा कर उनके खिलाफ झूठा केस दर्ज करा दिया।
पीड़ित शिक्षक का आरोप है कि विष्णु लहरे बिना किसी वैध लाइसेंस के ब्याजखोरी का धंधा चला रहे हैं, और जो लोग ब्याज नहीं चुका पाते, उन्हें डराने-धमकाने तक की कोशिश करते हैं।
उन्होंने बताया कि निहाल, सत्यजीत रात्रे जैसे कई ग्रामीण भी विष्णु लहरे से ब्याज पर पैसे ले चुके हैं, जो अब आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान हैं।
विजेंद्र पाटले ने शासन-प्रशासन से इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर सूदखोरी के इस अवैध कारोबार पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है।
विष्णु लहरे बोले- ब्याज पर नहीं, “मैंने घर बनाने के लिए दिया था कर्ज”
जब इस संबंध में विष्णु प्रसाद लहरे से पक्ष जानने की कोशिश की गई, तो उन्होंने कहा —
“मैंने विजेंद्र पाटले को घर बनाने के लिए ₹5 लाख रुपये दिए थे। उसमें से मुझे सिर्फ ₹1 लाख रुपये ही मिले हैं। बाकी राशि नहीं लौटाई गई, इसलिए मैंने चेक बाउंस का मामला कोर्ट में दायर किया है।”

