कोरबा। जिले में संचालित एसईसीएल गेवरा परियोजना का प्रबन्धन हर बार की तरह एक बार फिर झूठा साबित हुआ है। यह आरोप लगाते हुए प्रभावित ग्राम नराइबोध के विस्थापित युवकों-ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व् में आंदोलन पर मिले आश्वासन और शासन–प्रशासन, प्रबंधन को सूचना दिए लगभग 20 दिन से ज्यादा हो चुके हैं किंतु अभी तक कोई भी सकारात्मक काम अथवा पहल नहीं हुई है।
छोटी-छोटी मांगों के लिए ग्रामीण शुरू से हड़ताल करते आ रहे हैं।आश्वासन के सिवाय प्रबंधन ने अभी तक ग्रामवासियों को कुछ भी प्रदान नहीं किया है जिसके लिए सभी ग्रामवासी नाखुश हैं। वैकल्पिक रोजगार के लिए गेवरा परियोजना के अंदर कार्यरत निजी कंपनियों में स्थान होने के बावजूद ग्राम वासियों से 50000 रुपये नगद मांग कर तत्काल जॉइनिंग की व्यवस्था बनाकर बैठे हैं गेवरा परियोजना वाले, किंतु घर, द्वार, जल ,जंगल, जमीन देने वालों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई। यह भ्रष्टाचार की हद है और इन सभी झूठे आश्वासन और भ्रष्टाचार को देखकर ग्रामवासियों ने कल 12 मार्च बुधवार को हड़ताल कर उत्खनन कार्य को बाधित करने के लिए मजबूरी जाहिर की गया। ग्रामवासी नरईबोध दिनेश साहू,रमेश दास,दिलहरण चौहान,अश्वनी यादव ,विजय दास , सचिन दास , वीरेंद्र भट्ट, चेतन केवट ,मोहनलाल कौशिक के नेतृत्व में संघर्ष जारी है।