0 एक मामले में पत्नी को 10 हजार भरण-पोषण देगा पति
0 आयोग की समझाईश-लोगों को पड़ोसी धर्म का निर्वाह करना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य श्रीमती बालो बघेल व श्रीमती नीता विश्वकर्मा ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 232 वीं व जिला स्तर पर 108 वीं सुनवाई हुई। रायपुर जिले में आयोजित जनसुनवाई में कुल 30 प्रकरण में सुनवाई की गई।
आज की सुनवाई के दौरान प्रकरण में आवेदिका ने आयोग के समक्ष एक लिखित आवेदन प्रस्तुत किया कि वह बिना किसी शर्त के अपने पति के साथ रहने को तैयार है तथा प्रकरण समाप्त करना चाहती है। इस प्रकरण में दोनों पक्षों को सुना गया दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से साथ रहने का निर्णय लिया है। अनावेदक ने आयोग से अनुरोध किया की आवेदिका के तीन बहने पति-पत्नी के दाम्पत्य जीवन में दखल अंदाजी नहीं करेंगी, जिस पर आवेदिका ने सहमति व्यक्त की। आयोग ने इस प्रकरण में एक वर्ष तक निगरानी हेतु काउंसलर नियुक्त करते हुए प्रकरण समाप्त किया।
एक प्रकरण में दोनो पक्ष उपस्थित थे। आवेदिका अनावेदकगण के एकता चौक कबीर नगर स्थित मकान में निवासरत् है। जो पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। मकान का पुनः निर्माण करने के लिए सारा समान खरीद कर पड़ा है। जिसकी कीमत लाखों में है। इस संदर्भ में अनावेदकगणों ने एक लिखित आवेदन प्रस्तुत किया है। अनावेदकगणों का कहना है कि आवेदिका उस मकान को छोड़कर साथ रह सकती है। जिसके लिए आवेदिका तैयार है। आवेदिका को अपने देवर के व्यवहार से आपत्ति है जिसके लिए आयोग की काउंसलर द्वारा मौके पर समझाईश दिया जायेगा। एक सप्ताह के अंदर आवेदिका कबीर नगर के मकान को खाली करके अनावेदकगणों के साथ उनके घर में रहेगी। उक्त अवधि में आयोग की काउंसलर आवेकिा के साथ मौके पर उपस्थित रहेगी। इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया की सड़क के आवारा कुत्तों के द्वारा बच्चों को दौड़ाया और काटा जा रहा था। बच्चों को बचाने का प्रयास आवेदिका वह उसके पति के द्वारा किया गया था, उसे लेकर अनावेदिका ने आवेदिका व उसके पति के खिलाफ पशु क्रूरता की शिकायत कर वीडियों वायरल कर दिया गया था। दोनों पक्षों को विस्तार से सुने जाने पर स्पष्ट हुआ की दोनों पक्षों नेथाने में FIR दर्ज करा रखी है। चूंकि प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है इसलिए प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया की अनावेदक पति और पिता की जिम्मेदारी नहीं उठाता है, घर खर्च हेतु कोई राशि नहीं देता है। आवेदिका के स्वयं के खर्चों से घर चल रहा है। अनावेदक द्वारा आवेदिका पर शक किया जाता है। इन बिन्दुओं पर दोनों पक्षों की काउंसलिग किया गया जिसमें अनावेदक प्रति माह 10 हजार रूपये घर खर्च देगा। इस प्रकरण की निगरानी एक वर्ष तक किया जायेगा। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
अन्य प्रकरण में आवेदिका के पति के विरूद्ध आंतरिक परिवाद समिति में एक छात्रा द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई थी। आज की सुनवाई में आंतरिक परिवाद समिति के अध्यक्ष और सदस्य उपस्थित थे। आवेदिका ने बताया की अनावेदक विभागाध्यक्ष आवेदिका के पति है जो कि पत्रकारिकता विश्वविद्यालय के असोसिएट प्रोफेसर है जिनके खिलाफ छात्रा ने शिकायत दर्ज कराई है। परिवाद व समिति को सुना गया। उन्होनें बताया की शिकायतकर्ता छात्रा ने आवेदिका के पति के विरूद्ध स्पष्ट शिकायत नहीं किया था और गोल-मोल तरीके से बाते कर रही थी जिससे यह अहसास हुआ की शिकायत किसी के भहकावे या दबाव में किया गया है। इस पर आवेदिका के पति प्रोफेसर ने बताया की छात्रा की मां ने परिवाद समिति के सुनवाई में कहा था कि मुख्य अनावेदक पत्रकारिकता विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष जैसा कहेगें हम वैसा निर्णय लेगें। इस पर पत्रकारिकता रजिस्ट्रार ने अपना प्रतिवेदन तैयार किया गया जिससे स्पष्ट है कि अनावेदकगण ने आपसी सहमति और मिलिभगत से आवेदिका के पति के खिलाफ शिकायत किया था। जिसकी जांच आंतरिक परिवाद समिति द्वारा विधिवत तरीके से किया जा रहा था। अनावेदक छात्रा एवं विभागाध्यक्ष ने जिसमें कोई सहयोग नहीं किया तथा आवेदिका के पति के खिलाफ कोई भी स्पष्ट सबूत न मिलने पर परिवाद सहमिति ने प्रकरण समाप्त किया। आयोग ने अनावेदक क्रमांक 1.2 को छोड़कर शेष अनावेदकगणों के नाम को प्रकरण से हटाने का निर्देश देते हुए प्रकरण आगामी सुनवाई में सुनने की बात कही।