0 प्रतिबंध में भी रेत के अवैध खनन, बिना नम्बर के वाहनों से परिवहन और कई नाबालिग ट्रेक्टर चालकों पर कौन लगाएगा अंकुश…?
0 थाना-चौकियों के सामने से गुजरते हैं, न माइनिंग न राजस्व अमला लेता है संज्ञान, सभी ठिकानों की इन्हें है पूरी जानकारी
0 हो रही कार्रवाई दिखावे की, ऊंट के मुंह में जीरा के समान
कोरबा। जिले में कप्तान के निर्देश के बाद भी पुलिस को चकमा देकर और चंद विभागीय मुखबिरों की मदद से फल-फूल रहे अवैध कबाड़ के कारोबार पर प्रदेश के गृह मंत्री/उपमुख्यमंत्री के निर्देश उपरांत गाज गिरना शुरू हो गया है। हालांकि अभी सिर्फ कुसमुंडा पुलिस ने दो दुकानों को सील करने की कार्रवाई 48 घंटे के भीतर की है और कुछ थानेदारों ने अपने क्षेत्र में कबाड़ियों को सख्त हिदायत दे रखी है लेकिन इसके अलावा शहर और इससे लगे क्षेत्र के कबाड़ियों के गोदाम पूर्व की तरह गुलजार हैं।
कप्तान ने अगर ना कह दिया है तो किसी कबाड़ी, अवैध करोबारी, रेत माफिया की मजाल नहीं होनी चाहिए,पर यह भी तो जरूरी नहीं कि हर बात कप्तान तक सही-सही पहुंचाई जाय !
यहां बदस्तूर काम हो रहा है क्योंकि कई कबाड़ियों के गोदाम सील नहीं किए गए हैं। सूत्र बताते हैं कि गोदाम सील करने के बाद उसके आसपास के क्षेत्र में वह फिर से सक्रिय हो जाते हैं जिसकी वजह से औद्योगिक जिले में कबाड़ की चोरी थमने का नाम नहीं ले पा रही है। पकड़े गए पूर्व के मामलों से इतना तो उजागर हो चुका है कि बड़े कबाड़ी सांठगांठ पूर्वक संयंत्र के कर्मचारियों से मिलीभगत करके और नाबालिक बच्चों तथा नशेड़ी प्रवृत्ति के युवाओं की मदद लेकर अपनी दुकानदारी चमका रहे हैं। पहले भी इस तरह की तस्वीर सामने आ चुकी हैं जिनमें खदान क्षेत्र के भीतर से महिलाओं का समूह लोहे सर पर रखकर बेधड़क बेरोकटोक गुजरते रहे हैं। फेरी लगाने वालों की आड़ में भी कबाड़ खप रहा है। विभिन्न शासकीय निर्माण के लोहे तोड़कर, उखाड़ कर, काट कर भी खपाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं कोरबा से चोरी सरकारी लोहा या अन्य कीमती कबाड़ पड़ोसी जिले के भी कबाड़ी खरीद रहे हैं और कुछ मध्यस्थ पकड़ने की बजाय समझौता कराने में रुचि ले रहे हैं। इसके कारण बड़े कबाड़ी बाल-बाल बच जा रहे हैं।
जिले में कोतवाली, सिविल लाइन, बालको, दर्री, कटघोरा, पाली थाना क्षेत्र के कबाड़ियों पर अभी भी पुलिस का नजला गिरना शेष है।
वैसे पूर्व के वर्ष में तत्कालीन कप्तान ने जब टीपी नगर काफी हाउस के आसपास के एक कबाड़ी के गोदाम में दबिश थी तो, यहां टीम की भी आंखें फटी की फटी रह गई थीं। वह कबाड़ी एक बार फिर से सक्रिय है बस तौर- तरीका बदला हुआ है।
कार्रवाई के मामले में कहीं ना कहीं महकमा को डर के साए में रखने वाले अवैध कारोबारी अभी भी फल-फूल रहे हैं जिनकी जानकारी कप्तान तक पहुंच चुकी है, और ऐसे ही थाना व चौकी प्रभारी की खैर नहीं होगी जो अवैध कारोबारी, रेत चोरों, अवैध कोयला चोरों और कबाड़ चोरों के सरपरस्त बने हुए हैं।
0 रेत है कि खत्म होती ही नहीं,क्योंकि अधिकारियों ने ही सिखाया है नया पैंतरा
मानसून शुरू होने से पहले केंद्र सरकार की इकाई नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के द्वारा सभी तरह के नदी- नालों से हर तरह के खनन पर रोक लगा दी जाती है, जो 15 जुलाई से 15 अक्टूबर तक जारी है। इससे पहले रेत भंडारण स्थल पर रेत का भंडारण करने और बारिश के समय विक्रय हेतु रॉयल्टी संबंधित ठेकेदारों के लिए खनिज विभाग द्वारा जारी की जाती है लेकिन कोरबा जिले के मामले में तो ऐसा है कि भंडारण के लिए प्रतिबन्ध पूर्व जमा रेत खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। जबकि शहर से लेकर गांव और उपनगरीय क्षेत्र की सड़कों पर 24 घंटे ट्रैक्टर और टिप्पर से रेत का रात-रात में भी परिवहन हो रहा है। यह जांच का विषय होना चाहिए कि जिले में कितने रेत भंडारण के वैध क्षेत्र हैं और उनकी क्षमता क्या है, तथा इन्होंने कितनी सप्लाई अब तक कहाँ-कहाँ की है, प्रधानमंत्री आवास के लिए कितनी रेत निशुल्क दी है? वैसे रेत भंडारण की आड़ में नदियों को खोद कर रेत का खजाना खत्म नहीं होने देने का तरीका संभवत: अधिकारियों से ही होकर निकला है। यह एक नया तरीका इजाद किया गया है कि आप अवैध रेत जितना चाहो उतना, जहां से चाहो वहां से खोद कर भंडार कर लो और जब कभी कोई शिकवा- शिकायत हुई तो हम वहां पहुंचकर उसे पैनाल्टी लगाकर एक नंबर का बना देंगे। यही वजह है कि नदी-नालों पर संकट उत्पन्न हो गया है। पर्यावरण संरक्षण विभाग भी गहरी नींद में है। राजस्व अमले को इससे कोई मतलब नहीं रह गया है। एक वह भी दौर हाल ही के वर्षों में रहा है जब रात-रात को राजस्व अमला सड़क पर उतरकर कार्रवाई किया करता था, रेत चोरी के मामलों में थानों में fir भी दर्ज हुई है। यह समझ से परे है कि कभी पुलिस महकमा अवैध रेत का परिवहन और खनन के मामलों में कार्रवाई के लिए अपना कार्य क्षेत्र बताता है तो कई बार इससे पल्ला झाड़ लेता है। राजस्व विभाग भी माइनिंग पर ठीकरा फोड़ता रहा है तो कभी तीनों विभाग मिलकर संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हैं। इन्हीं सब असामान्य परिस्थितियों और आपसी तालमेल के अभाव तथा व्यवस्थागत संरक्षण का लाभ रेत माफिया जिले में बेधड़क उठा रहे हैं, फिर केंद्रीय प्रतिबन्ध का औचित्य क्या?
0 पुलिस ने की है यह कार्रवाई
गौरतलब है कि पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी द्वारा क्षेत्र में हो रहे डीज़ल, कोयला चोरी, जुआ, सट्टा, आबकारी एवं अवैध कबाड़ के विरुद्ध सख्त कार्यवाही के लिये दिये गये निर्देशों के परिपालन में थाना प्रभारी कुसमुण्डा द्वारा वैशाली नगर नासिर शेख पिता रखिक शेख 26 वर्ष के गोदाम को सील किया। इसके अलावा दो कबाड़ दुकान थाना कटघोरा और चौकी सर्वमंगला में स्थित को सील कार्यवाही हेतु एसडीएम को पत्र लिखा गया। इस कड़ी में सर्वमंगला पुलिस द्वारा पूर्व में लावारिस हालत में मिले अवैध कबाड़ 02 टन के मामले में राजू कबाड़ी की दुकान को सीलबंद कराया गया है। पिछले महीनों में कटघोरा के एक कबाड़ी के गोदाम को सील कराया गया लेकिन कुछ दिन बाद ही बारिश के मध्य गोदाम में रहस्यमय तरीके से आग लग गई। आग लगने या लगाने के रहस्य का आज भी पता नहीं चल सका है। हालांकि यहां लगे सीसीटीवी कैमरे में एक शख्स सीलबंद गोदाम के भीतर जरूर नजर आया था।