DEO-BEO का बंधा महीना 20 हजार,स्कूल से गायब 7 निलम्बित
0 विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षकों की संख्या ज्यादा मिली
दुर्ग। स्कूल से गायब रहने वाली प्रधान पाठक और शिक्षकों पर बड़ी कार्रवाई हुई है। इंस्पेक्शन के दौरान नदारद मिले शिक्षकों को दुर्ग कमिश्नर ने सस्पेंड कर दिया है।
संभाग कमिश्नर सत्यनारायण राठौर, सर्राफा व्यापारी महावीर जैन की शिकायत पर महात्मा गांधी शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में निरीक्षण करने पहुंचे थे। इस दौरान महात्मा गांधी शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय की प्रिंसिपल और 6 टीचर गायब मिली। जिसके बाद दुर्ग कमिश्नर प्रधान पाठिका शायना परवीन और 6 महिला शिक्षकों को निलंबित करने का आदेश दिया गया। वहीं दुर्ग के जिला शिक्षा अधिकारी अभय जायसवाल और ब्लॉक शिक्षा अधिकारी गोविंद साव को शो कॉज नोटिस जारी किया गया है। शिकायतकर्ता ने लिखा था कि महात्मा गांधी शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में वहां की प्रिंसिपल और शिक्षक बड़ी लापरवाही बरत रहे हैं।
स्कूल में जितने छात्र हैं उनके अनुपात में शिक्षक काफी ज्यादा हैं जिसका फायदा उठाकर प्रिंसिपल शायना परवीन खान और कई टीचर्स काफी दिनों तक स्कूल नहीं आते।
यही नहीं रजिस्टर में बच्चों की संख्या ज्यादा दर्ज थी, जबकि उनकी उपस्थिति काफी कम थी। कमिश्नर दुर्ग ने डिप्टी कमिश्नर दुर्ग संभाग और संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग दुर्ग को मिलाकर एक ज्वाइंट टीम बनाई और दोनों की टीम ने 13 फरवरी 2024 को महात्मा गांधी शासकीय पूर्व माध्यमिक स्कूल का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान शिकायत सही पाया गया है।
स्कूल का रिकॉर्ड भी दुरुस्त नहीं था, ना ही उसमें प्रिंसिपल के हस्ताक्षर थे। शिक्षक और छात्र भी अनुपस्थित पाए गए। इस रिपोर्ट के बाद दुर्ग कमिश्नर ने इनके ऊपर निलंबन की कार्रवाई की। शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, संभागायुक्त और कलेक्टर दुर्ग से इस संबंध में शिकायत की थी।उसने बताया था कि महात्मा गांधी शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय की प्राधन पाठिका शायना परवीन के साथ स्कूल की शिक्षिकाएं रजनी बाला साहू, छाया दुबे, अंजनी महापात्रा, शशिकला साहसी, अनीता राजपूत, गरिमा सिन्हा और सुनीता देवांगन काफी दिनों से लगातार अनुपस्थित चल रही हैं।
ये लोग जिला शिक्षा अधिकारी अभय जायसवाल और खंड शिक्षा अधिकारी गोविंद साव को 20 हजार रुपए प्रति माह की राशि देकर कभी-कभार ही स्कूल आती हैं। वहीं जब टीचर्स स्कूल आती भी हैं, तो पूरा समय मोबाइल और अपने निजी काम में लगा देती हैं। इनकी इस लापरवाही से यहां के बच्चे एक-दूसरे को गालीगलौज करते हुए नशा करते हैं। बच्चे स्कूल के बाह इधर-उधर घूमते नजर आते हैं और उनका पढ़ाई पर कोई ध्यान नहीं है।