KORBA:KBC का यह सवाल और अर्जुन बैठे HOT सीट पर,12.50 लाख पर क्विट किया गेम,देखें VIDEO
0 चुटीली बातों और अंदाज ने कायल किया बिग-बी को
कोरबा। कोरबा जिले के होनहार छात्र अर्जुन अग्रवाल ने बड़ी की तेजी से और प्रतिभागियों में सबसे पहले उस एक सवाल का जवाब दिया,जिसके बाद वे हॉट सीट पर बैठेने के हकदार बन गए। डीपीएस एनटीपीसी कोरबा के छात्र ने केबीसी जूनियर के इस सीजन में महज 11 वर्ष की आयु में 12 लाख 50 हजार रुपये जीतकर राष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बनाई और कोरबा का नाम रौशन किया।
केबीसी जूनियर का बहुप्रतीक्षित पहला एपिसोड सोमवार 4 नवम्बर की रात प्रसारित हुआ, जिसमें अर्जुन के असाधारण ज्ञान और तेज़ सोच की अमिताभ बच्चन ने जमकर सराहना की।
अर्जुन, जो इस शो पर अपने माता-पिता और छोटी बहन नैना के साथ आए थे, न केवल अपने परिवार के लिए, बल्कि कोरबा शहर के लिए भी गर्व का कारण बने। उनका यह अद्वितीय सफलता की कहानी और भी विशेष बन जाती है, क्योंकि कोरबा के एक छोटे से छात्र ने राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह की उपलब्धि हासिल की। हालांकि, जब अर्जुन को 25 लाख रुपये का सवाल पूछा गया, तो उन्होंने समझदारी से खेल छोड़ने का निर्णय लिया, जिससे उनकी जीत सुरक्षित रही।
अर्जुन के माता-पिता, मनीष अग्रवाल, जो एनटीपीसी कोरबा में डीजीएम (एमजीआर) हैं, और नेहा अग्रवाल, जो गृहिणी हैं, ने अपने बेटे की सफलता पर अत्यधिक गर्व व्यक्त किया। नेहा अग्रवाल ने कहा, “हम हमेशा अर्जुन की क्षमताओं पर विश्वास करते थे, और जूनियर केबीसी पर उसके प्रदर्शन ने हमारे इस विश्वास को सही साबित किया। उसकी यह उपलब्धि केवल उसके लिए एक व्यक्तिगत मील का पत्थर नहीं, बल्कि एनटीपीसी, डीपीएस और कोरबा वासियों के लिए भी गर्व का क्षण है।”
अर्जुन की केबीसी मंच तक की यात्रा प्रेरणादायक रही। पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करने के बाद, उन्हें मुंबई में आयोजित ग्राउंड ऑडिशन के लिए चुना गया, जहां उन्होंने 540 प्रतिभागियों के बीच लिखित परीक्षा और साक्षात्कार में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। उनके आत्मविश्वास, ज्ञान और परिपक्वता ने चयनकर्ताओं को प्रभावित किया, और इस प्रकार उन्हें शो में भाग लेने का अवसर मिला।
शैक्षिक उपलब्धियों के अतिरिक्त, अर्जुन एक कुशल शतरंज खिलाड़ी भी हैं और बैडमिंटन खेलना पसंद करते हैं, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है। उनका पसंदीदा विषय विज्ञान है, और उन्हें नई अवधारणाओं को जानने और सीखने का गहरा उत्साह है। यह अद्वितीय उपलब्धि अर्जुन के कठिन परिश्रम, संकल्प और सीखने के प्रति उनकी लगन का प्रमाण है, और यह हर छात्र के लिए प्रेरणा का स्रोत बनती है।