जो बोएगा वही पाएगा: निलंबन से बचने राजधानी की दौड़,बचेंगे या ….
कोरबा। यह तो सबको पता है कि नगर पालिक निगम कोरबा में अधिकारियों का रवैया कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कभी अधिकारियों द्वारा घूस की मांग की जाती है तो कभी घूस लेते हुए अधिकारी गिरफ्तार कर लिए जाते हैं। इसी कड़ी में एक और बड़ी खबर मिल रही है कि नगर निगम के अधीक्षण अभियंता एम.के. वर्मा को 06/11/24 को हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग में नगरीय प्रशासन एवं विकास, संचालक IAS कुंदन कुमार के द्वारा सख्त लहजे में फटकार पड़ी है और एक पक्षीय कार्यवाही करने का पत्र जारी किया गया है।
आपको बताते चलें कि मामला है अधोसंरचना मद, 14 वित्त और 15 वित्त मद के अंतर्गत करवाए जा रहे निर्माण कार्यों का, जिसमे लेट लतीफी और शासन द्वारा प्राप्त राशि को निर्माण कार्य कर रहे संबंधित ठेकेदारों को समय पर भुगतान नहीं करने और आर्थिक अनियमितता का है। 06 नवंबर को दोपहर 03 बजे वीडियो कांफ्रेंसिंग रखी गई थी जिसमें आयुक्त, अधीक्षण अभियंता और अन्य अधिकारियों को नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालक कुंदन कुमार के सामने अब तक के कार्यों का ब्यौरा देना था। कोरबा निगम के अधीक्षण अभियंता एम.के. वर्मा और सहायक अभियंता राहुल मिश्रा निगम में हो रहे निर्माण कार्यों और उन कार्यों के एवज में किए जाने वाले भुगतानों का सही जवाब नहीं दे पाए। जिस पर कुंदन कुमार ने तल्ख लहजा दिखाते हुए दोनों अधिकारियों को निलंबित करने तक की बात कह दी। वीडियो कांफ्रेंसिंग में ऐसा एक बार नहीं बल्कि 2 से 3 बार निलंबन की बात बोलने की खबर सूत्रों से मिली है। वीडियो कांफ्रेंसिंग खत्म होने के तत्काल बाद अधीक्षण अभियंता एम.के वर्मा को नोटिस जारी किया गया है, वहीं सुनने में आया है कि 14 वित्त और 15 वित्त मदों का कार्य देख रहे सहायक अभियंता राहुल मिश्रा अपनी नौकरी बचाने के लिए तत्काल रायपुर रवाना हो गए हैं, फिर निलंबन की तलवार दोनों अधिकारियों पर लटकती दिख रही है।
इस बड़ी कार्यवाही को 09/07/24 को नगर पालिक निगम कोरबा ठेकेदार संघ के अध्यक्ष असलम खान द्वारा लिखे पत्र से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। जिसमें उन्होंने साफ लिखा था कि अधोसंरचना मद के 1.5 वर्ष से रुके हुए पैसे को शासन से मंगवाया जाय। इस पत्र ने पूरे राज्य में ऐसा आग लगाया था कि 1.5 वर्ष से रुका हुआ भुगतान सिर्फ एक सप्ताह में ही सभी ठेकेदारों को प्रदान कर दिया गया था। आपको बता दें कि असलम खान द्वारा लिखे इस पत्र के बाद 12/07/2024 को अधीक्षण अभियंता और लेखा अधिकारी को नोटिस जारी किया गया था जिसमें उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजे जाने और गलत तरीके से खर्च से ज्यादा पैसे मंगवाने के लिए भी पत्र के माध्यम से लताड़ पड़ी थी। इसके बाद अधीक्षण अभियंता ने अपना जवाब पेश किया था, वह जवाब उच्च अधिकारियों को संतोषप्रद नहीं लगा और दोबारा एम.के वर्मा को नोटिस जारी किया गया है जिसमें उनको दोषी मानने और एक तरफ कार्यवाही करने तक का उल्लेख स्पष्ट देखा जा सकता है।
हाल फिलहाल ने निगम में तीन ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट किया गया था जिसमे से दो ठेकेदारों का ब्लैक लिस्ट किए जाने का आदेश वापस ले लिया गया। एक सड़क ठेकेदार का तीन वर्ष का परफॉर्मेंस गारंटी खत्म हो जाने के बाद भी नियम विरुद्ध कार्यवाही करते हुए राशि को राजसात कर दिया गया, जिसका मामला उच्च न्यायालय में चल रहा है। इसी तरह मल्टीलेबल पार्किंग का कार्य कर रहे ठेकेदार का भी राशि राजसात कर उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया गया जबकि वह ठेकेदार कार्य करने के इच्छुक था। यह मामला भी उच्च न्यायालय में चल रहा है। निगम सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार जो ठेकेदार एम के वर्मा को घूस ना दे, उसकी फाइल को दबा दिया जाता है या फिर बेवजह अर्थदण्ड लगा दिया जाता है।
कहीं न कहीं इन सब नियम विरुद्ध कार्यवाहियों के पीछे भी अधीक्षण अभियंता एम.के वर्मा का हाथ होना बताया जा रहा है। अब देखना यह है कि क्या ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को निलंबित किया जाता है, या ये सब कयास हवा-हवाई बातें रह जाएंगे।