कोरबा। जिले के वन मंडल क्षेत्र में भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है।जंगलों के भीतर बनने वाली डब्ल्यूबीएम सड़कों का मामला हो या स्टॉप डेम या फिर जंगली जानवरों के लिए रहवास की व्यवस्था, भोजन-पानी की व्यवस्था हो आदि-आदि, इन सभी में भ्रष्टाचार के मामले तो उजागर होते रहे हैं लेकिन पौधा रोपण करने के नाम पर भी भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर हो रहा है जो लाखों और करोड़ तक पहुंचा है। कटघोरा वन मंडल के पसान रेंज में जो जमीन ही नहीं है उस जमीन पर भी पौधारोपण किये जाने और जमीन से ज्यादा भूमि पर पौधारोपण कर लाखों रुपए का गबन करने तथा बिना बिजली कनेक्शन के ही 21 नग बोर खुदवा कर भ्रष्टाचार करने के मामले की जांच कहां तक पहुंची है, क्या पाया गया है यह बताने में डीएफओ से लेकर जांचकर्ता अधिकारी एसडीओ सीके टिकरिहा तक परहेज कर रहे हैं। फोन उठाना भी मुनासिब नहीं समझते न मैसेज का रिप्लाई मिलता है।
वहीं दूसरी ओर चैतमा में पसान से भी बड़े क्षेत्रफल में औषधिय पौधों का रोपण के नाम पर खेल हुआ है। अब पाली की रोपणी में भी बड़ी गड़बड़ी की जानकारी सामने आई है।
सूत्र बताते हैं कि रोपणी में पदस्थ करना सीधे शीर्ष अधिकारी के हाथ में है और डीएफओ तक भी वहां पर पदस्थापना नहीं कर सकते लेकिन इस नियम को ताक पर रखकर एक कर्मी की नियुक्ति पाली रोपणी में डिप्टी रेंजर द्वारा कराई गई है। इसके बाद उस कर्मी के नाम और बनवाए गए सील के आधार पर लाखों रुपए आहरण अवैधानिक तरीके से कर लिए गए हैं। इस बात की जानकारी संबंधित वनकर्मी से लेकर उससे ऊपर रैंक के वन कर्मियों जैसे डिप्टी रेंजर, रेंजर, एसडीओ और यहां तक कि डीएफओ को भी है। यह बड़ा ही आश्चर्यजनक है कि वन विभाग के अधिकारी अपने ऊपर तमाम आरोपों को झेल रहे हैं लेकिन जिसकी वजह से दामन में दाग लग रहे हैं, उसे हटाना तक मुनासिब नहीं समझ रहे,क्या वह उनके राज जनता है या फिर बीच की अहम कड़ी है…?
सूत्र बताते हैं कि रोपणी में पौधा रोपण के नाम पर बड़ा खेल खेला जा रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि आगामी दिनों में विभिन्न मद से वन विभाग में करोड़ों रुपए के कार्य होने जा रहे हैं, इसकी स्वीकृति से पहले ही राशि गबन करने का ताना-बाना बुना जा रहा है। जरूरत है कि समय रहते अगर पुरानी गड़बड़ियों पर जांच नहीं की गई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वन विभाग के बड़े फंड पर भी कुंडली मारते हुए बिना काम कराए या आधा-अधूरा काम कर पूरा पैसा निकालने के अपने चाल में कामयाब हो जाएंगे। वैसे भी पूर्व के रेंजर पर करोड़ों की रिकवरी है जो विभाग आज तक वसूल नहीं पाया है।