0 आज शाम थम जाएगा चुनावी शोर, फिर घर-घर कैंपेनिंग का रहेगा जोर
कोरबा। नगरीय निकाय चुनाव में इस वर्ष चुनावी रंग अपेक्षाकृत अपने रंग में नजर नहीं आ रहा है। नगर पालिक निगम के साथ ही नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत क्षेत्र में प्रत्याशी अपना-अपना जोर लगाए हुए हैं लेकिन जब बात नगर पालिक निगम कोरबा के क्षेत्र की करें तो यहां के 67 वार्डों में भी कहीं रंग फीका तो कहीं सुर्ख नजर आ रहा है। आज शाम से चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा और फिर मतदान दिवस 11 फरवरी की सुबह तक घर-घर जाकर प्रचार-प्रसार का दौर चलता रहेगा।

इधर महापौर की उम्मीदवार भारतीय जनता पार्टी से जहां संजू देवी राजपूत का चुनाव प्रचार अपने पूरे शबाब पर है, जोर-शोर से चल रहा है और वह कहीं ना कहीं अपने प्रचार में आगे निकल चुकी हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस उम्मीदवार श्रीमती उषा तिवारी का प्रचार अपेक्षाकृत फीका-फीका सा लग रहा है। यह बात हम नहीं कहते बल्कि कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं और पूर्व हो चुके पार्षदों के बीच से ही निकाल कर आई है। उनमें इस बात की मायूसी भी जरूर है कि चुनाव में उनकी कहीं पूछ परख भी नहीं हो रही है यहां तक कि उनके वार्ड में जो प्रत्याशी पार्टी द्वारा घोषित किए गए हैं वह भी उन तक नहीं पहुंच रहे हैं और ना ही कोई तवज्जो मिल रही है। संगठन की ओर से भी कोई खास निर्देश नहीं दिया गया है जिससे निवृत्तमान हुए कांग्रेस के कई पार्षद भी खामोश बैठे हुए हैं। आखिर वे संगठन के बिना निर्देश और मार्गदर्शन के करें भी तो क्या करें..? इन हालातो में प्रत्याशी चाहे महापौर के हों चाहे पार्षद पद के लिए हो, वह अपने ही दम पर अपने ही बूते चंद कार्यकर्ताओं की बदौलत प्रचार-प्रसार में कूदे हुए हैं। हालांकि कमोबेश थोड़े-बहुत हालात भाजपा के साथ भी है जिनमें कई पूर्व मंडल के पदाधिकारी इस बात से खफा हैं की टिकट वितरण से लेकर प्रचार-प्रसार के दौर में भी उन्हें पूछा नहीं जा रहा है।
0 मतदाताओं की खामोशी…
इस साल का चुनावी रंगरूप मतदाताओं के भी समझ में नहीं आ रहा है और वह बड़े खामोश रहकर मतदान की तारीख का इंतजार कर रहे हैं। मतदाताओं की खामोशी के कई तरह के मायने राजनीतिक विश्लेषक लग रहे हैं। राजनीति के गुणा-भाग और उतार-चढ़ाव के बीच जहां बीजेपी प्रचार-प्रसार में आगे चल रही है वहीं उनके पक्ष में प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय चुनावी सभा ले चुके हैं। राष्ट्रीय नेत्री सरोज पांडेय का भी दौरा हुआ है तो मंत्री लखन लाल देवांगन सहित अन्य नेतृत्वकर्ता भी वार्डो से लेकर शहर में दौरे व छोटी-छोटी सभाएं कर रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में नेता प्रतिपक्ष डॉ.चरणदास महंत, सांसद श्रीमती ज्योत्स्ना चरणदास महंत व पूर्व् मंत्री जयसिंह अग्रवाल की संक्षिप्त उपस्थिति को छोड़कर कोई भी दिग्गज नेता नजर नहीं आ रहे हैं। चाहे वह पूर्व महापौर व पूर्व के प्रत्याशी ही क्यों ना रहे हों या फिर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में जिनका नाम शुमार है और शहर में जाना-पहचाना नाम व चेहरा भी वह रखते हैं, लेकिन इस चुनाव में वह कहीं भी दिख नहीं रहे, शहर में नजर नहीं आ रहे हैं। निगम क्षेत्र की जनता भी इस तरह के प्रचार- प्रसार और नेताओं के रवैया से हतप्रभ है कि आखिर क्यों प्रत्याशियों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है? यह कहना कोई अतिशक्ति नहीं होगी कि अधिकांश प्रत्याशी चुनावी नाव पर सवार तो करा दिए गए हैं लेकिन ना तो उनके पास पतवार है और न हीं खेवनहार…। अब भला वे बीच में डूबें या किसी तरह से किनारे पर उतर जाएं, यह मतदाताओं के फैसले और प्रत्याशी की किस्मत पर निर्भर करेगा..। वैसे दिल्ली के चुनाव नतीजों की लहर से कोरबा अछूता नहीं रहने वाला।