👉🏻प्रशासनिक वादाखिलाफी ने बढ़ाया है आक्रोश,वर्षों से अश्वासनों के बाद भी समाधान नहीं
कोरबा। SECL और जिला प्रशासन की उदासीनता और संवेदनहीनता के विरुद्ध अंतिम लड़ाई की शुरुआत आज अलसुबह कर दी गई।
पूर्व घोषणा अनुसार कुसमुंडा क्षेत्र से प्रभावित महिलाओं ने रोजगार, बसाहट, पुनर्वास सहित अन्य सुविधाओं को लेकर कुसमुंडा प्रबंधन और अधिकारियों सहित दर्री तहसीलदार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। झूठे आश्वासनों से त्रस्त होकर कुसमुंडा कार्यालय के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया है और अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद कर रही हैं। इन्होंने कहा है कि इस आंदोलन से उत्पन्न होने वाली किसी भी अप्रिय स्थिति या कोयला उत्पादन में बाधा की पूरी जिम्मेदारी SECL प्रबंधन और जिला प्रशासन की होगी।
👉🏻22 वर्षों से कर रहे हैं संघर्ष
कुसमुंडा परियोजना से प्रभावित भूविस्थापित महिलाओं ने 22 वर्षो से लंबित रोजगार, बसाहट और अन्य लंबित मांगों को लेकर आंदोलन तेज किया है। भूविस्थापित महिलाओं के इस समूह में गोमती, केवट, काजल, इन्द्रा, सरिता टिकैतराम बिंझवार, पूनम और मीना कंवर शामिल हैं।इन्होंने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी समस्याओं का ठोस समाधान और निराकरण नहीं किया जाता,तब तक वे कुसमुंडा के मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय के मुख्य द्वार (दोनों गेट) को जाम कर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगी ।
👉🏻आक्रोश का कारण बार-बार वादाखिलाफी
महिलाओं ने बताया कि उन्होंने पूर्व में भी 17 नवंबर 2025 को SECL कुसमुंडा कार्यालय में गेट जाम आंदोलन किया था। उस समय दर्री तहसीलदार ने स्वयं मौके पर पहुंचकर हस्तक्षेप किया और यह लिखित आश्वासन दिया था कि 21 नवंबर 2025 को बैठक आयोजित कर सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
👉🏻भूविस्थापित महिलाओं का वक्तव्य
हम कई बार गेट जाम, खदान बंद और ऑफिस दफ्तर के चक्कर लगाते-लगाते थक चुके हैं। SECL और जिला प्रशासन के अधिकारियों के झूठे आश्वासन से हम त्रस्त हो गए हैं। 21 नवंबर 2025 को बैठक और समाधान का वादा किया गया था लेकिन वह भी एक और छलावा साबित हुआ। अब जब तक समाधान व निराकरण नहीं किया जाएगा हम गेट को नहीं छोड़ेंगे ।
👉🏻मांग:-
- पात्र भूविस्थापितों को तत्काल निराकरण कर रोजगार देना सुनिश्चित किया जाए ।
02.समुचित और सम्मानजनक बसाहट की व्यवस्था देना होगा अन्य सभी लंबित मांगों का समयबद्ध निराकरण करने को सुनिश्चित किया जाए।



