कोरबा-पाली। कोयला कारोबार के विवाद में प्रतिस्पर्धा की चिंगारी धीरे-धीरे सुलगते हुए काफी तेज भड़की। इस आग में पाली का अमन चैन फिलहाल झुलस रहा है। हिंसक झड़प में एक गुट के खास सहयोगी को जान से हाथ गंवाना पड़ा तो इस गुट के लोगों ने दूसरे गुट के लोगों पर अपनी खीझ निकाली।
सरायपाली खदान के मुहाने पर शुक्रवार रात 10 से 10:30 बजे के बीच हिंसक झड़प (गैंगवार) की घटना हुई। इस घटना की खबर खदान और अस्पताल से जैसे ही आम हुई, रोहित जायसवाल के पक्ष के लोगों ने दूसरे गुट के लोगों को तलाशना शुरू कर दिया। स्थानीय सूत्र ने बताया कि एक आरोपी सौरभ श्रीवास के घर में घुसकर उसके भाई शुभम श्रीवास को मारा पीटा गया और उसे उठाकर लाने के बाद हाथ-पैर बांधकर बुरी तरह से पीटा गया। शुभम के पिता से भी बेरहमीपूर्वक मारपीट किया गया। इसी प्रकार एक अन्य आरोपी सीजू ठाकुर के पिता प्रभात ठाकुर जो कि विनायक हॉस्पिटल के पास से रास्ते से गुजर रहे थे तो उनकी स्कूटी को लात मार कर गिराने के बाद उनसे भी मारपीट की गई। कहीं का गुस्सा कहीं उतारा गया, परिजन भी इस आपसी रंजिश का शिकार हुए। बताया गया कि शुभम और प्रभात को बुरी तरह से मारपीट करने के बाद एक कमरे में बंद कर दिया गया था। इधर देर रात पुलिस कप्तान सिद्धार्थ तिवारी पाली थाना पहुंचे तो पूरा अमला हरकत में आया। जानकारी होते ही तत्काल प्रभाव से विनायक हॉस्पिटल में दबिश देकर पुलिस ने फिल्मी स्टाइल में इन दोनों लोगों को बाहर निकाला और कटघोरा के अस्पताल में भर्ती कराया गया।
0 पुलिस को करनी होगी नीर-क्षीर विवेचना
इस घटनाक्रम को लेकर भी पाली क्षेत्र में तीखी प्रतिक्रिया है कि आपसी रंजिश में निर्दोषों पर, जिनका इस पूरे मामले में कहीं कोई लेना-देना नहीं है, उन पर किसी तरह की बर्बरता नहीं होनी चाहिए। परिवारजनों की सुरक्षा होनी चाहिए। जो आरोपी हैं उन पर कार्रवाई हो और जिनका इस पूरे घटनाक्रम से कोई लेना-देना नहीं, कोई वास्ता नहीं ऐसे लोगों के नाम रंजिशवश किसी भी सूरत में ना फंसाया जाए। जिला पुलिस से भी इस तरह की अपेक्षा लोगों ने जताई है कि वह नीर-क्षीर विवेचना करे ताकि घटनाक्रम में आपसी रंजिशवशदोनों पक्ष से कोई भी निर्दोष बेवजह साजिश का शिकार ना होने पाए। पुलिस द्वारा घटनास्थल का सीसीटीवी फुटेज खँगालने की भी कवायद की जा रही है तो विनायक हॉस्पिटल का आसपास का भी फुटेज देखा जाएगा।
0 कोयला के विवाद में होने लगा दो फाड़
पाली क्षेत्र में यह सर्वविदित रहा कि जब से सरायपाली परियोजना खदान खुली और यहां कोल ट्रांसपोर्टों ने अपना कारोबार शुरू किया, उसके कुछ साल बाद से ही आपसी मनमुटाव शुरू होने लगा। कभी दांत काटी रोटी की तरह दोस्ती निभाने वाले और एक-दूसरे का साथ देकर पार्टी संगठन को आगे बढ़ाने के लिए काम करने वालों में ऐसी दरार आई की रंजिश बढ़ती चली गई। बढ़ते मनभेद-मतभेद के बारे में पार्टी के स्थानीय व शीर्ष नेताओं को भी समय-समय पर जानकारी होती रही लेकिन इस बढ़ती वैमनस्यता को समय रहते दूर नहीं किया जा सका। अपने-अपने आका के दम पर कुछ लोग माहौल खराब करते चले गए तो कुछ ने फूट को बढ़ाने का काम किया।वहीं खदान में कोयला की ग्रेडिंग से लेकर लोडिंग और खदान में प्रवेश से लेकर निकासी कराने वाले चंद कर्मचारियों और अधिकारियों की धन लिप्सा के कारण दोनों पक्ष के कोल ट्रांसपोर्टरों में विवाद गहराता चला गया। अपने-अपने पक्ष के लोगों को संरक्षण देने का भी काम होता रहा और ऐसे में एक पक्ष का मनोबल बढ़ता तो दूसरे पक्ष का गिरता रहा। दोनों पक्ष के लोगों ने अपनी बात थाना तक पहुंचाई, शिकवा-शिकायतों का दौर भी चला। कुछ मामलों में FIR भी हुए लेकिन बाद में इसे रोजाना का घटनाक्रम मानते हुए ठंडे बस्ते में डालने का काम थाना से शुरू होने लगा। लगातार की जाने वाली अनदेखी ने न सिर्फ दोनों पक्ष का मनोबल बढ़ाया बल्कि सत्ता और संगठन में खास दखल रखने वाले दोनों पक्ष के लोगों ने भी आपस में मिलजुलकर इस टशन को दबाने का सफल प्रयास नहीं किया। कोयला खदान से शुरू हुई खंदक की इस लड़ाई में एक जान जाने के बाद दूसरा पक्ष सलाखों के घेरे में है।