कोरबा। कोरबा में ज़िला खनिज न्यास निधि (DMF) फंड के करोड़ों रुपये का दुरुपयोग हुआ है? पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर की शिकायत के बाद यह मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा है। भारत सरकार के खान मंत्रालय ने इस गंभीर आरोप को संज्ञान में लेते हुए छत्तीसगढ़ सरकार के भूविज्ञान एवं खनन निदेशालय को जांच के आदेश जारी कर दिए हैं।
शिकायत में क्या हैं आरोप?

पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर ने CPGRAMS (सार्वजनिक शिकायत पोर्टल) पर दर्ज शिकायत में दावा किया है कि कोरबा जिले में खनन से मिलने वाले DMF फंड का दुरुपयोग किया गया है। यह फंड खनन प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए आवंटित किया जाता है, लेकिन आरोप है कि इस धनराशि का सही उपयोग नहीं किया गया और इसमें बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुई हैं।
सूत्रों के मुताबिक, इस घोटाले में बड़े अधिकारियों और स्थानीय प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता होने की संभावना जताई जा रही है। यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह कोरबा के अब तक के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक साबित हो सकता है।
केंद्र सरकार की त्वरित कार्रवाई
ननकीराम कंवर की शिकायत पर भारत सरकार के खान मंत्रालय ने 30 जनवरी 2025 को आधिकारिक पत्र जारी किया, जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार को मामले की जांच करने और आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
खान मंत्रालय के अवर सचिव राकेश थपलियाल द्वारा जारी इस पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि—
✅ मामले की विस्तृत जांच की जाए और यदि गड़बड़ी पाई जाती है तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।
✅ MMDR अधिनियम, 1957 और अन्य अधिसूचित नियमों के तहत कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
✅ जांच की पूरी रिपोर्ट शिकायतकर्ता ननकीराम कंवर को भी सौंपी जाए।
क्या है DMF फंड और क्यों होता है विवाद?
District Mineral Foundation (DMF) फंड खनन से प्रभावित जिलों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए गठित एक निधि है। इसका उपयोग स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, सड़क और बुनियादी ढांचे के विकास में किया जाता है। लेकिन, कई बार इस फंड के गलत इस्तेमाल और भ्रष्टाचार के आरोप सामने आते रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, खनन क्षेत्रों में पारदर्शिता की कमी और प्रशासनिक लापरवाही के चलते इस फंड के दुरुपयोग की आशंका बनी रहती है। कोरबा जैसे खनन-प्रधान जिले में इस तरह के आरोपों का सामने आना गंभीर चिंता का विषय है।
क्या होगा अगला कदम?
अब सबकी नजरें छत्तीसगढ़ सरकार और स्थानीय प्रशासन पर टिकी हैं। यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह मामला प्रदेश की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था को हिला कर रख सकता है।
➡️ क्या इस घोटाले में कोई बड़ा राजनीतिक चेहरा सामने आएगा?
➡️ क्या दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी या मामला दबा दिया जाएगा?
➡️ छत्तीसगढ़ सरकार इस जांच को कितनी गंभीरता से लेगी?
इन सभी सवालों के जवाब आने वाले दिनों में सामने आएंगे। फिलहाल, यह मामला कोरबा और छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल ला सकता है।
