कोरबा-पाली। एसईसीएल कोरबा क्षेत्र की पाली थाना अंतर्गत संचालित सरायपाली बुड़बुड़ परियोजना खदान में 28 मार्च 2025 की रात एक कोल लिफ्टर व ट्रांसपोर्टर रोहित जायसवाल की हत्या के मामले में आरोपी बनाए गए तत्कालीन एजीएम सुरेंद्र सिंह चौहान सहित कुल 16 आरोपियों में से सरेंडर करने वालों को छोड़कर अन्य की गिरफ्तारी पुलिस के द्वारा 5 माह में भी नहीं की जा सकी है। एसईसीएल प्रबन्धन भी कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई न कर संदेह के दायरे में आ गया है।

हालांकि पाली पुलिस ने अपनी विवेचना के अंतिम प्रतिवेदन में SECL अधिकारी चौहान को पूरी तरह से प्रकरण से ही बाहर निकाल कर उनके अपराध का खात्मा पेश कर दिया किन्तु प्रकरण में जब वे सीधे तौर पर हत्या व अन्य गंभीर धाराओं में आरोपी बनाए गए हैं और गिरफ्तारी अब तक नहीं हुई है तो सवाल उठता है कि इन्हें राहत क्यों? हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने भी इनका अग्रिम जमानत आवेदन मई 2025 के आदेश में खारिज कर दिया,फिर तो कोई वजह मुरव्वत की नहीं थी लेकिन वे इन सबके बीच अपने नए पदस्थापना स्थल पर ज्वाइनिंग कर कार्य करते आ रहे हैं तो क्या SECL प्रबन्धन का नैतिक दायित्व नहीं बनता कि गम्भीर आरोप और धाराओं से घिरे अधिकारी को निलम्बित करे व विभागीय जांच बिठाई जाय ? और उन्हें सरेंडर करने कहा जाय।

पाली पुलिस के साथ-साथ प्रबन्धन की दरियादिली इन पर बनी है।
उन्हें इस अपराध से बाहर निकालने की तमाम पुलिसिया कोशिशों को धक्का लगा है जब उनके विरुद्ध न्यायालय से गिरफ्तारी वारंट जारी करने का आदेश जारी किया गया।
वे पदोन्नति व तबादला उपरांत सोहागपुर परियोजना में स्टाफ ऑफिसर के तौर पर सेवा दे रहे हैं,मतलब कि फरार भी नहीं कहे जा सकते तो दूसरी तरफ गैर जमानती प्रकरण में प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट पाली, जिला कोरबा ने 5 अगस्त 2025 को जारी आदेश में कहा है कि-
अभियुक्त सुरेन्द्र सिंह चौहान के विरुद्ध भा.ना.सं. की धारा 103 (1), 61(2) (ए), 190, 191 (2) एवं 191 (3) के तहत संज्ञान लिया जाता है तथा उसकी उपस्थिति हेतु गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाता है।
तब,आज पर्यंत गिरफ्तार कर वारन्ट की तामीली और उपस्थिति सुनिश्चित क्यों नहीं कराई जा सकी? यह और बात है कि पुलिस ने अपने प्रतिवेदन में उनकी बेगुनाही का सबूत तथ्यों और प्रमाण के साथ प्रस्तुत किया होगा किंतु उन सबूतों और तथ्यों का अवलोकन कर गुण-दोष के आधार पर घटना में किसकी कितनी भूमिका है, यह तय कर अन्य आरोपियों सहित सुरेन्द्र सिंह चौहान को पृथक करने का अंतिम निर्णय न्यायालय को ही लेना है। कहीं-कहीं बार-बार निचली अदालत से लेकर हाई कोर्ट के निर्देशों/आदेश व कानून की धाराओं का उल्लंघन लगातार किया जा रहा है और SECL की जिम्मेदार अधिकारी भी इस मामले में कहीं ना कहीं उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं।
हालांकि, पुलिस ने इन सबकी फरारी में ही चालान पेश कर दिया है ताकि प्रकरण के विचारण में विलंब ना हो किंतु विरोधी पक्ष और उसके अधिवक्ता इस तथ्य को लेकर लगातार प्रश्नगत हमलावर मुद्रा में हैं। लोगों के बीच पाली पुलिस की कार्यशैली व SECLअधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैये को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है।


