0 श्री शिव महापुराण कथा में बोले पं.प्रदीप मिश्रा-अपने विश्वास को दृढ़ रखकर कार्य करें तो सफलता अवश्य मिलेगी
कोरबा। भक्ति जहां से भी जैसी हो सके,जिस हाल में हो,वह सच्चे मन से की जाय तो आराधना स्वीकार हो जाती है। कण-कण में भगवान,कंकड़-कंकड़ में शंकर हैं, जहाँ कथा हो रही हो उस स्थल की भूमि और रज (धूल) पावन हो जाते हैं, इसी मान्यता के साथ शिव महापुराण कथा सुनने पहुंचे श्रद्धालुओं से मीरा रिसोर्ट भरा रहा। जो अंदर न जा सके,उन्होंने सड़क किनारे बैठकर अपने भाव शिव के चरणों मे समर्पित किए।
भीतर उमस भरी गर्मी, पंखे विहीन बरामदा और बदबूदार पानी से भरे कीचड़युक्त पंडाल में खड़े होकर/कुर्सियों में बैठे भक्त,पसीने से तर बतर होते भक्त कथा की गहराईयों और भजन में मस्त रहे, यही शिवकथा में तल्लीनता दिखी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशिल्या देवी, पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर, महापौर संजूदेवी राजपूत सहित अन्य खास ने भी कथा सुनी।

ऑनलाइन कथा स्थल पर सीमित जगह होने के कारण सीमित संख्या में भक्तों को एंट्री की व्यवस्था के बाद भी उमड़े और भीतर जाने के इच्छुक लोगों को संभालने में पुलिस अधिकारियों ने बड़ी धैर्यता से काम किया।

ASP नितीश ठाकुर के साथ CSP भूषण एक्का, बेनेडिक्ट मिंज, DK सिंह व अन्य, निरीक्षक युवराज तिवारी, धर्मनारायण तिवारी, SI प्रेमचन्द साहू से लेकर अन्य SI, ASI और महिला-पुरुष पुलिस बल,निजी सुरक्षा जवानों ने अव्यवस्था नहीं होने दी। यातायात के जवान भी पूरे समय मुस्तैद रहे…।सबने अपनी भूमिका निभाई और महाकाल भक्त मण्डल का 7 दिन का आयोजन बिना किसी विघ्न के आयोजित हुआ।
0 भगवान और भक्ति पर खुद का विश्वास दृढ़ होना चाहिए: पं.मिश्रा
कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि भक्त का अपने भगवान और अपनी भक्ति पर विश्वास दृढ़ होना चाहिए। भगवान शिव किसी को भी देने में कभी भी ना नहीं करते। विचारों में शुद्धता होनी चाहिए, विचार शुभ होने चाहिए तो शुभ विचारों से लाभ मिलता ही है। परमात्मा जब बच्चों को जन्म देता है तो जिस विचार के साथ उसे धरती पर भेजता है, जितना पवित्र होता है उसी पवित्रता व निर्मल स्वभाव के साथ वह लौटकर परमात्मा के पास पहुंचे, ऐसी भावना होती है। उन्होंने कहा कि जिस गांव, समाज, नगर में संत, सती और भक्ति का वास हो तो उस क्षेत्र को कोई भी बर्बाद नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा कि जिसकी आत्मा भगवान की अविरल भक्ति में झूमती हो/नाचती हो, वही सबसे बड़ा भक्त है। आज आत्मा संतुष्ट नहीं है, परिवारों में छोटी-छोटी बातों को लेकर वाद-विवाद होते रहते हैं, जब हमारे विचार ही शुभ नहीं होंगे तो लाभ कैसे मिलेगा इसलिए मन को पवित्र रखें विचारों को शुद्ध करें तो लाभ भी मिलेगा। छोटी-छोटी बातों पर विवाद ना करें बल्कि भगवान शिव का ध्यान करते हुए उनके सामने अपनी बड़ी बातों को रखें। मन बड़ा करें, बड़े सवाल करें और बड़े सवाल का जवाब करते हुए भगवान शंकर को पुकारें तो रिजल्ट अच्छा ही आएगा। पंडित मिश्रा ने कहा कि जो जैसी भावना रखता है, वैसा ही फल पाता है। भगवान शिव कभी खाली नहीं लौटाते, वे कब किसको क्या देंगे यह कहा नहीं जा सकता।

कथा के दौरान उन्होंने भक्तों से प्राप्त पत्रों का भी वाचन किया और घटित घटनाक्रमों का जिक्र करते हुए उन भक्तों को बुलाकर उनसे सीधा संवाद किया,कृपा प्राप्त बच्चों को व्यासपीठ से आशीर्वाद दिया, उन्हें बेलपत्र का प्रसाद भी दिया। पंडित मिश्रा ने कहा कि जहां विश्वास पक्का होता है वहां मरे हुए को भी परमात्मा को जीवित करना पड़ता है। दुनिया में ऐसी कोई तकलीफ, ऐसा कोई दु:ख नहीं है जो आपके दृढ़ विश्वास से मिटेगा नहीं। उन्होंने कहा कि आपका अपने शिव पर विश्वास पक्का होना चाहिए, उस विश्वास में दृढ़ता होनी चाहिए। भक्त मीराबाई और उनके गुरु संत रविदास से जुड़े एक प्रसंग का जिक्र करते हुए कहा कि सच्चा गुरु कठौते में भी गंगा को ला सकता है। सबको अच्छे कर्म की सीख देते हुए कहा कि जब भक्ति का पुण्य बढ़ता है तो भगवान छप्पर फाड़ कर देता है लेकिन जब व्यक्ति का पाप बढ़ता है तो भगवान थप्पड़ मार कर लेना प्रारंभ कर देता है। भगवान की आंखों से कोई भी नहीं बच सकता,वह सब कुछ देख रहा है। आपकी अच्छी सोच अच्छे कर्म ही आपके जीवन को आनंद देंगे और आपकी संतानों को भी सुख की प्राप्ति होगी। भगवान की भक्ति की महत्व बताते हुए कहा कि मौसम और मनुष्य कब बदलेंगे इसका कोई ठिकाना नहीं इसलिए अपनी तैयारी पूर्ण रखकर चलें। हर वक्त भगवान का स्मरण करते रहें,उसकी भक्ति करते रहें। उन्होंने कहा कि ज्ञान सिर्फ ज्ञानपीठ से ही प्राप्त नहीं होता बल्कि अपने घर से भी कभी-कभी प्राप्त हो जाता है।माता पार्वती और भगवान गणेश के प्रसंग का वर्णन करते हुए पंडित मिश्रा ने कहा कि एक मां अपने बच्चे को जन्म देने के बाद उसका पूरा ध्यान रखती है, कभी भी उसकी तरफ अपनी पीठ नहीं करती,उससे मुंह नहीं फेरती लेकिन वही बच्चा जब बड़ा हो जाता है तो अपनी मां से मुंह मोड़ लेता है। मॉं तो मॉं होती है, वह कभी भी अपने बच्चे का मोह नहीं छोड़ती,फिर भले बेटा उसे क्यों ना छोड़ दे।
0 23 जुलाई को पार्थिव शिवलिंग की पूजा
कथा के दौरान पंडित मिश्रा ने बताया कि सावन माह की शिवरात्रि के अवसर पर 23 जुलाई को शाम 7 बजे वे अपने कुबेरेश्वर धाम से पार्थिव शिवलिंग की पूजा करेंगे। मिट्टी का शिवलिंग बनाकर यह पूजा की जाएगी। इसकी महत्ता बताते हुए कहा कि कण-कण को जोड़कर बनाए गए शिवलिंग में करोड़ों करोड़ शिव की पूजा हो जाती है। नमः शिवाय, ऊँ नमः शिवाय, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का जाप करते हुए बनाए गए पार्थिव शिवलिंग में स्वयं भगवान महादेव विराजमान होते हैं। उन्होंने शिव भक्तों से आग्रह किया कि 23 जुलाई को शाम 7 बजे सभी लोग इससे जुड़कर अपने-अपने घर में पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर शामिल हो सकते हैं।