0 कोरबा निगम में 21 प्रतिशत तक बिलो में काम करने वाले ठेकेदारों व इंजीनियरों की बंदरबांट पर भी बट्टा
रायपुर/ कोरबा। छत्तीसगढ़ शासन के के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मंत्रालय द्वारा आदेश जारी कर कोरबा सहित प्रदेश भर उन भ्रष्ट ठेकेदारों नींद उड़ा दी गई है जो अब तक बिलो दर पर टेंडर हासिल कर संबंधित इंजीनियर की मिलीभगत से गुणवत्ताहीन कार्य करते हुए जनहित के कार्यों व सरकार के रुपयों में बंदरबांट कर लिया करते थे। अब 10 लाख रुपए तक के कार्यों का भी ई- प्रोक्योरमेंट पोर्टल से निविदा भरा जाना अनिवार्य कर दिया गया है।
जारी आदेश में लेख है कि- क्रमांक एफ 5-56/2014/18 विभागीय समसंख्यक आदेश दिनांक 01 अप्रैल 2021 द्वारा प्रदेश के समस्त नगर पालिक निगम एवं नगर पालिका परिषदों तथा समस्त नगर पंचायतों में राशि रू. 20 लाख एवं अधिक लागत के समस्त विकास कार्यों की समस्त निविदायें ई-टेंडरिंग के माध्यम से किये जाने के निर्देश दिए गये हैं।
राज्य शासन एतद्वारा उक्त आदेश में संशोधन करते हुए रू. 10 लाख एवं अधिक लागत के समस्त विकास कार्यों की समस्त निविदायें ई-टेंडरिंग के माध्यम से निविदा आमंत्रित करने की अनुमति प्रदान की जाती है। e-Procurement portal में आवश्यकता अनुसार संशोधन / सुधार करते हुए मैनुअल पद्धति से आमंत्रित समस्त निविदाओं से संबंधित अन्य जानकारी तथा निविदा क्रमांक, निविदा का विवरण, निविदा की तिथि, न्यूनतम निविदाकार, कार्यादेश की प्रति आदि को e-Procurement portal में प्रदर्शित भी किया जाये। यह आदेश जारी होने की तिथि से प्रभावशील होगा।
0 निविदा में पारदर्शिता आएगी, मोनोपली टूटेगी
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मंत्रालय द्वारा जारी इस आदेश को लेकर उन ठेकेदारों में हर्ष व्याप्त है जो एक निर्धारित क्षमता तक ही कम दर पर किसी भी कार्य की निविदा प्राप्त करते हैं ।उन्होंने बताया कि यह एक बहुत ही अच्छा निर्णय है जिससे न सिर्फ स्वस्थ स्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा बल्कि कार्यों में पारदर्शिता भी आएगी। लंबे समय से इस तरह की पारदर्शितापूर्ण कार्यवाही का इंतजार था। कोरबा नगर निगम की बात करें तो यहां तीन से चार ठेकेदारों की मोनोपली अन्य ठेकेदारों पर हावी होती रही है। इनके द्वारा करोड़ों करोड़ों रुपए के टेंडर 21% तक बिलो(कम दर) में हासिल करने के बाद आखिर किस तरह से कार्यों को अंजाम दिया जात रहा है/जा रहा है, इसे समझा जा सकता है। बढ़ती महंगाई के दौर में जब खाद्य पदार्थों से लेकर निर्माण सामग्रियों के भाव आसमान छू रहे हैं, तब ऐसे में इतनी बड़ी अंतर (बिलो दर) की राशि से बिलो में टेंडर प्राप्त कर जो कार्य हो रहे हैं/हुए हैं, उसकी तो जांच कराने की आवश्यकता बन पड़ी है। विगत 10 वर्षों में इस तरह का खेल नगर निगम कोरबा से लेकर अन्य नगरीय निकायों और नगर पंचायत में चलता आ रहा है। नगर निगम में आखिर 21% बिलो तक जाकर जो टेंडर हासिल किए गए हैं, उनके कार्य प्रगति व गुणवत्ता पर सवाल तो उठता है। इस बात पर कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि पूर्व के आधे-अधूरे कार्यो और अपूर्ण कार्यों की फाइल खुलवा ली जाए? जिस तरह से ठेकेदारों ने काफी बिलो दर में ठेका प्राप्त किया है, उनसे यह भी प्रति परीक्षण कराया जाना चाहिए कि क्या वे जिस दर पर टेंडर हासिल किए हैं उस दर से उस प्रचलित निर्धारित कीमत पर वे निर्माण की सामग्री ही खरीद कर उपलब्ध करा सकते हैं?
