0 सत्यसंवाद ने सबसे पहले और लगातार उठाया कैम्पा मद का घोटाला, बिना बिजली बोर भी चलाते रहे
कोरबा। जंगल विस्तार के लिए कराए जाने वाले पौधारोपण कार्य में वन विभाग के अधिकारियों ने जमकर धांधली की। कैम्पा मद से कराए गए पौधारोपण में घोटाले का मामला सत्यसंवाद ने जुलाई 2024 में सबसे पहले और प्रमुखता से उठाया और लगातार यह मामला सुर्खियों में रहा। मध्य प्रदेश से मजदूर बुलाकर पौधारोपण की लीपापोती की तमाम कोशिशें भी की गई। डीएफओ ने जांच का आदेश जारी किया और पाली एसडीओ चंद्रकांत टिकरिहा के नेतृत्व में गठित टीम ने जांच की। करीब साल भर बाद अब जाकर यह पता चला है कि इसमें शामिल लोगों से कुल 45.32 लाख की वसूली की जाएगी। जांच रिपोर्ट राज्य शासन को भेज दी गई है।
0 रिटायर SDO से लेकर वनरक्षक शामिल
पौधारोपण घोटाला के इस मामले में एआर बंजारे,तत्कालीन एसडीओ (रिटायर्ड) से 11 लाख 33 हजार 189 रुपये, रेंजर धर्मेन्द्र चौहान से 15 लाख 86 हजार 463 रुपए, वनपाल एसएस तिवारी से 11 लाख 33 हजार 189 रुपए, वनरक्षकों दिलीप ओरेकरा से 18 हजार 568 रुपये, सुरेश यादव से 1 लाख 21 हजार 122 रुपए, एपी सोनी से 4 लाख 50 हजार 239 रुपये व एके शुक्ला से 89 हजार 983 रुपये की वसूली कराने की अनुशंसा डीएफओ ने राज्य सरकार से की है।
बताया गया कि पौधरोपण के लिए दो पार्ट में 10 करोड़ मंजूर हुए। इनमें से अब तक 5.50 करोड़ खर्च हो चुके हैं। पौधे तो मौके पर कम मिले। साथ ही इसकी सुरक्षा के लिए लगाए फेंसिंग के खंभे और तार भी कम पाए गए हैं। पंप भी खराब हो चुका है। जिन कर्मियों की सुरक्षा के लिए ड्यूटी लगाई गई थी, उन्होंने ध्यान ही नहीं दिया। यहां तक कि बिना बिजली कनेक्शन के ही 21 बोर खुदवा दिए गए जिसमें भी घोटाला हुआ है।
0 जमकर खेला अधिकारियों ने
पसान रेंज में जल्के बीट के पिपरिया पंचायत में कैम्पा मद से सिंचित पौधरोपण के लिए वर्ष 2019-20 में 10 करोड रुपए की मंजूरी मिली थी। इस योजना के तहत 10 साल तक 265 हेक्टेयर में लगे पौधों की सुरक्षा और देखरेख में राशि खर्च करनी है। पौधरोपण का काम वर्ष 2021 में शुरू हुआ, लेकिन पिपरिया पंचायत के लचरीडाड़ खलपारा के पार्ट वन में 150 हेक्टेयर जमीन बताई गई थी, लेकिन वहां उतना रकबा ही नहीं था। यही नहीं, पार्ट-2 में भाटापारा में 150 हेक्टेयर में पौधरोपण करना था। यहां भी आसपास की जमीन पर लोगों का कब्जा था। अतिक्रमण हो चुकी जमीन को भी पौधरोपण स्थल में शामिल करना पाया गया। पौधारोपण की जांच में मौके पर सिर्फ 30 प्रतिशत पौधे जिंदा मिले।
0 इन प्रजातियों के पौधे
वन भूमि पर वर्ष 2020-21 में 150 हेक्टेयर और 115 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचित रोपणी के तहत पौधा रोपण कराया गया लेकिन मैदानी अमले की अपेक्षित सक्रियता नहीं होने के कारण आलम यह रहा कि 265 एकड़ विशाल क्षेत्रफल में रोपे गए फलदार, छायादार और ईमारती महत्व के पौधों में से मात्र 20% ही जीवित रह पाए हैं। काला मुरुम मिट्टी वाली 150 हेक्टेयर भूमि पर करीब 88000 पौधों का रोपण 2021 में कराया गया जिनमें आंवला, जामुन, नीम, करंज, सागौन, सीरत, सरई, कौहा, महुआ बीजा आदि शामिल थे। इसी तरह 115 हेक्टेयर भूमि पर सीरत, सागौन व करंज के पौधे रोपे गए थे। इन 3 वर्षों के भीतर 150 हेक्टेयर के पौधों में से मात्र 20 से 30% और 115 हेक्टेयर रोपणी में से मात्र 20 से 25% पौधे ही जीवित बचे।
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