👉🏻 पंचायत से जनपद व जिला तक बख्शे जा रहे जिम्मेदार
कोरबा। कोरबा जिले के कोरबा व करतला जनपद में उजागर तथा दूसरे जनपदों में भी प्रधानमंत्री आवास में जमकर खेला हो रहा है। प्रमाणित मामलों में कार्रवाई तो दूर, जांच तक नहीं हो रही है।
करतला विकासखंड व जनपद अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत बेहरचुवा में न सिर्फ मनरेगा बल्कि प्रधानमंत्री आवास योजना में भी बड़ा गड़बड़झाला हुआ है। आवास निर्माण योजना में जहां एक आवास के नाम पर जियो टैग से अलग-अलग दर्शाकर रुपए निकाले गए तो वहीं एक पति-पत्नी के नाम पर दो आवास स्वीकृत किए गए। इसमें एक में आवास तो बनाया किन्तु दूसरे आवास का निर्माण बगैर उसके नाम पर राशि निकाल कर गबन कर ली गई है। मजदूरी की राशि में मनरेगा से गबन हुआ है।
पुष्ट सूत्रों के जरिए जो सामने आया, उसके मुताबिक- संगीता पति गोपाल दास निवासी बेहरचुंवा के नाम पर प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुआ ।जिसका सामाग्री भुगतान दिनांक 08/11/2024 को 40000/- दिनांक 26/12/2024 को 60000/- दिनांक 20/03/2025 को 20000/- एवं 16524/- का मजदूरी भुगतान हो गया। उसके बाद संगीता के पति गोपाल दास पिता सहेत्तर दास निवासी बेहरचुंवा के नाम पर गलत तरीक़े से प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुआ जिसमें दिनांक 25/03/2025 को 40000/- एवं दिनांक 11/07/2025 को 55000/- का सामाग्री भुगतान उसके खाते में जबकि गोपाल दास पिता सहेत्तर दास द्वारा किसी भी प्रकार का कोई भी निर्माण नहीं कराया गया। उसके बाद भी फर्जी जियो टैग करके 23490/- का फर्जी मजदूरी भुगतान करा दिया गया जो जांच का विषय हैं जिसमें जनपद के अधिकारियों को सारा जानकारी होने के बाद भी कोई भी कार्यवाही नही किया गया जिससे कई सवाल पैदा हो रहे हैं।
👉🏻कराईनारा पंचायत में भी फर्जीवाड़ा
विकासखंड करतला अंतर्गत ही ग्राम पंचायत कराईनारा के आश्रित ग्राम भेलवागुडी निवासी मनीराम यादव पिता महेश राम के नाम पर सत्र 2024-2025 में प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुआ। आवास के प्रथम किश्त की राशि दिनांक 17/09/2024 को 40000/- रूपये एवं द्वितीय किश्त की राशि दिनांक 21/05/2025 को 55000/- रूपये एवं तृतीय किश्त की राशि दिनांक 14/06/2025 को 25000/- रूपये हितग्राही के खाते में जमा हुआ। 85 दिन की मजदूरी राशि 22164/- रूपये भुगतान भी हो गया और जियो टैग में दिनांक 26/05 /2025 को प्रधानमंत्री आवास निर्माण पूर्ण दिखा रहा है।
👉🏻दूसरी तरफ, इस मामले की वास्तविकता यह है कि मनीराम यादव पिता महेश राम द्वारा किसी भी प्रकार का कोई भी आवास निर्माण नहीं किया गया है बल्कि सारा भुगतान सिर्फ फर्जी जियो टैग करके निकाल लिया गया है।
👉🏻 पत्नी के आवास का जियो टैग कर पति ने पैसा निकाला
सत्र 2024-25 में प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुआ समुंदर सिंह पिता गंभीर साय निवासी कटबितला का, जिसे ग्राम पंचायत कटबितला के तत्कालीन सरपंच द्वारा प्रस्ताव देकर उस प्रधानमंत्री आवास को श्रीमती रूखमणी पति राजकुमार चौहान को दे दिया गया। आवास का प्रथम किश्त राशि दिनांक 17/09/2024 को 40000/-,द्वितीय दिनांक 26/02/2025 को 55000/- तथा तृतीय किश्त दिनांक 23/03/2025 को 25000/- जारी हुआ एवं मजदूरी भुगतान 21627 रुपए भी हो गया और इसमें आवास को पूरा बना लिया गया। उसके बाद श्रीमती रूखमणी चौहान के पति राज कुमार चौहान पिता महेत्तर लाल चौहान निवासी कटबितला के नाम पर सत्र 2025-26 में प्रधानमंत्री आवास योजना से आवास स्वीकृत हो गया जिसे पूर्व में पत्नी श्रीमती रूखमणी चौहान पति राजकुमार चौहान द्वारा निर्मित कराये गए आवास का फर्जी जियो टैग करके प्रधानमंत्री आवास योजना से दो किस्त राशि जारी करा दिया गया। दिनांक 09/04/2025 को 40000/- को प्रथम किश्त एवं दिनांक 25/04/2025 को 55000/- रुपये का द्वितीय किश्त जारी कर दिया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना से पति-पत्नी के नाम पर अलग-अलग आवास स्वीकृत होना एवं एक ही आवास का दो बार फर्जी जियो टैग करके राशि का आहरण हुआ।
👉🏻इस तरह का फर्जीवाड़ा तब हो रहा है जब आवास मित्र, रोजगार सहायक एवं सचिव के अलावा जनपद स्तर के एक अधिकारी की आवास निर्माण मॉनिटरिंग के लिए डयूटी प्रधानमंत्री आवास योजना में लग रही है। इसके बाद भी सिर्फ फर्जी जियो टैग के सहारे सामाग्री का भुगतान एवं मजदूरी भुगतान करा लिया गया है।
👉🏻इससे स्पष्ट होता है कि इस फर्जीवाड़े में आवास मित्र, रोजगार सहायक एवं सचिव के अलावा जनपद स्तर के अधिकारी की मिलीभगत है, जिनसे होकर भुगतान जारी होता है। यही एक बड़ी वजह है कि आवास में फर्जीवाड़ा के मामले संज्ञान में लाए जाने के बाद भी कोई जांच एवं कार्यवाही नहीं हो रही है क्योंकि सब के सब एक-दूसरे को बचाने में लग जाते है। इसलिए ग्राम पंचायत बेहरचुंवा में प्रधानमंत्री आवास योजना में घोटाला उजागर होने के बाद आज तक ना तो कोई जांच हुई और ना ही कोई कार्यवाही की गई।
👉🏻जिला और जनपद पंचायतों की भी निगरानी है, किंतु यहां आलम है कि पंचायत में बैठे लोग जिला स्तर के चंद अधिकारियों-बाबू के संरक्षण में न सिर्फ सरकार की आंख में धूल झोंक रहे हैं बल्कि एक आवास का निर्माण कर दूसरी आवास का पैसा फ्री में निकाल रहे हैं। इतना ही नहीं जो आवास बनाया ही नहीं गया, उसे भी दस्तावेजों में पूर्ण दिखाकर सारी राशि आहरण कर ली जा रही है। आवास योजना के साथ मनरेगा में भी लूट मची है। लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं किंतु कार्रवाई के नाम पर लीपापोती ही हो रही है। प्रधानमंत्री आवास और मनरेगा शाखा से जुड़े वर्षों से जमे लोगों की बदौलत सरकार का पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है और बिना निर्माण कराये ही आवास के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। सख्त कार्रवाई, आर्थिक अनियमितता पर FIR और वसूली के अभाव में निःसन्देह इनके मनोबल बढ़े हैं।





