0 छत्तीसगढ़ ही नहीं सम्भवतः देश भर में दूसरा विरला है यह शिवलिंग
0 मनोकामना पूर्ति शिवलिंग के रूप में है पौराणिक महत्ता
कोरबा। पौराणिक मान्यता है कि जब किसी की मनोकामना पूर्ण होती है तो वह पांच पिंडियों वाले शिवलिंग की स्थापना पूरे मनोयोग और विधि विधान से करता है। पांच पिण्ड वाला शिवलिंग काफी दुर्लभ और विरले ही देखने को मिलता है लेकिन यह कोरबा जिला के लिए सौभाग्य की बात है कि यहां पांच पिंडी वाला शिवलिंग स्थापित है जो छत्तीसगढ़ में दूसरा है। आदि शंकराचार्य के समय में इस तरह के शिवलिंग की स्थापना का प्रमाण मुंगेली जिले के मदकू द्वीप में मिलने की बात सामने आई है।
कोरबा रियासत के राज परिवार द्वारा इस पांच पिण्ड वाले शिवलिंग की स्थापना कालांतर में की गई। देश के कुछ धार्मिक महत्व वाले स्थलों में पंचमुखी शिवलिंग तो देखने-सुनने को मिलते हैं किंतु एक साथ एक ही विग्रह में पांचपिण्ड वाले शिवलिंग की उपलब्धि कोरबा में है।

वर्तमान में पुरानी बस्ती रानी रोड स्थित कमला नेहरू महाविद्यालय के ठीक पीछे हसदेव् नदी के तट पर यह ऐतिहासिक पांच पिंडी शिवलिंग स्थापित है। शिवलिंग की स्थापना वाले मंदिर के ठीक सामने भगवान गणेश की भी ऐतिहासिक मूर्ति स्थित है जो अपने आप में बिल्कुल अलग है। साथ ही स्वयंभू शिवलिंग भी यहां स्थापित है। यह धार्मिक स्थल जहां अपने पौराणिक महत्व को प्रदर्शित करते हुए धार्मिक इतिहास को समेटे हुए है तो दूसरी तरफ इस स्थल के संरक्षण और संवर्धन की भी आवश्यकता बनी हुई है।
पुरानी बस्ती के सेवाभावी युवाओं के द्वारा ऐतिहासिक शिवलिंग और मंदिर में पूजा-अर्चना करने के साथ-साथ खास अवसरों पर पूरे परिसर की साफ-सफाई करते हुए आयोजन करने का स्थानीय लोगों के सहयोग से बीड़ा उठा रहे हैं।

इस महाशिवरात्रि पर भी मंदिर में आयोजन करने की तैयारी चल रही है। मंदिर के आसपास साफ-सफाई करने के साथ-साथ रंग रोगन किया जा रहा है। मंदिर परिसर को विद्युत झालरों से सजाने का भी काम कराया जा रहा है। आयोजन से जुड़े और देखरेख में प्रमुख भूमिका निभाने वाले ज्योति दास महंत ने सत्यसंवाद को बताया कि इस ऐतिहासिक महत्व के और संभवतः पूरे छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि भारत में एकमात्र पांच पिंडियों वाले शिवलिंग वाले मंदिर के प्रति जिला प्रशासन को भी संज्ञान लेकर आवश्यक सहयोग प्रदान करना चाहिए।
0 पुराना इतिहास बताता स्मार्त शिवलिंग मदकू द्वीप में भी

इस तरह के शिवलिंग को स्मार्त शिवलिंग कहा जाता है। कोरबा में के.एन.कालेज के पीछे “हसदेव” नदी के बायीं तट पर निर्मित इस मंदिर में स्थापित स्मार्त शिवलिंग जहां पुराने इतिहास को बयां करता है वहीं इस तरह के शिवलिंग मदकू द्वीप में खुदाई के दौरान पाए गए हैं।

यहां एक सीधी रेखा में निर्मित मंदिरों की श्रंखला मिली है।

0 कोरबा के शिवलिंग का 250 साल पुराना इतिहास : क्षत्रिय

पुरातत्व के जानकार हरिसिंह क्षत्रिय की मानें तो वर्ष 1918 से पहले और लगभग 200 से 250 वर्ष पूर्व इस शिवलिंग की स्थापना यहां की गई है और यह प्राचीन शिवलिंग है। पुरातत्ववेत्ता क्षत्रिय बताते हैं कि राजगढ़ी यहां 200 से 250 साल पहले बसाया गया। राज परिवार के सदस्य द्वारा अपनी कोई मनोकामना पूर्ण होने पर हसदेव नदी के तट पर पंचपिण्डी शिवलिंग की स्थापना की गई व मंदिर का निर्माण कराया गया। मान्यता है कि मनोकामना पूर्ण होने पर ऐसे शिवलिंग की स्थापना की जाती है। शिवलिंग स्थापना के काफी वर्ष बाद महादेव की छत्रछाया में मंदिर के निकट राजमहल वर्ष 1918 में निर्मित कराया गया जो आज रानी महल व केएन कालेज के नाम से जाना जाता है। पांच पिण्ड वाला शिवलिंग मनोकामना पूर्ति करने वाला होता है इसलिए इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है। तो आईए, आप भी अपने परिवार के साथ इस प्राचीन शिवलिंग व श्री गणेश के दर्शन का पुण्य लाभ प्राप्त कर जीवन को धन्य करें…।