कोरबा। विद्यालयों में बच्चों को पढ़ने- लिखने के लिए भेजा जाता है ना कि काम करने के लिए। कोरबा जिले में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमें छोटे-किशोरवय विद्यार्थियों से बर्तन धुलवाने, झाड़ू लगवाने से लेकर दीगर कार्य कराने के मामले उजागर होते रहे हैं।
इसी कड़ी में जिला मुख्यालय में जिला और ब्लॉक शिक्षा अधिकारी की नाक के नीचे आज एक और मामला देखने को मिला जिसमें शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पीडब्ल्यूडी रामपुर (ब्लॉक शिक्षा कार्यालय कोरबा) के अंतर्गत विद्यार्थियों से ही रंग-रोगन का कार्य कराया जा रहा है।

विद्यालय की साज-सज्जा करने के लिए निःसन्देह सरकारी राशि उपलब्ध कराई गई होगी लेकिन जिस तरह से विद्यार्थी अपने कक्ष में दीवार और खिड़कियों की रंगाई-पुताई करते नजर आए, उससे तो यही लग रहा है कि यहां अधिकांश कार्य विद्यार्थियों से कराया गया और शासन से मिले खर्च की राशि को फर्जी बिल लगाकर हजम करने का काम किया जाएगा। आज दोपहर के वक्त यह नजारा पेश आया जब एक कक्षा में कुछ विद्यार्थी गणवेश में तो कुछ विद्यार्थी बिना गणवेश के घरेलू कपड़ों में दीवार और खिड़की की पुताई करते नजर आए। एक छात्र गोड़ी पर चढ़कर दीवार पोत रहा था तो छात्रा खिड़की पेंट कर रही रही। कमरे में एक शिक्षिका भी मौजूद रहकर काम करा रही थी।

जब बाहर की तरफ से नजारा देखकर पुताई कर रहे इस छात्र व छात्रा से पूछा कि यहां पढ़ाई- लिखाई करने आते हो या रंगाई पुताई और साफ-सफाई करने तो, उसने अवाक रहकर कमरे मौजूद शिक्षिका को आवाज देकर बुलाया। उनसे कोई जवाब-तलब नहीं हो सका किंतु इस तरह के मामले शिक्षा के मंदिर में चिंताजनक हैं, जहां बच्चों से ऐसे कार्य कराए जा रहे हैं।



