0 नहर मार्ग से दो ट्रेक्टर पकड़कर जप्ती
कोरबा। कोरबा जिले में अवैध खनिज का परिवहन और दोहन के मामले में दूसरे जिले की तरह सख्त कार्रवाई का अपेक्षाकृत अभाव देखने को मिल रहा है। यहां तो पुलिस अवैध रेत के मामले में हाथ नहीं लगाती जबकि छत्तीसगढ़ राज्य में ही आने वाले बिलासपुर जिले के कोटा थाना की पुलिस ने दो दिन पहले 20 ट्रैक्टर, दो हाईवे रेत पकड़कर माफियाओं में हड़कंप मचा दी। राज्य एक है पर जिलों में नियम अलग-अलग ! कहीं पुलिस इस मामले में हाथ डालती है तो कहीं फीलगुड कराया जा रहा है। कोरबा जिला लंबे समय से रेत माफियाओं के लिए गुड फील कराता आ रहा है।
शासन द्वारा निर्धारित किए गए खनन नियमों को ताक पर रखकर यह सब हो रहा है और इसकी आड़ में नदियों की बर्बादी बेधड़क की जा रही है। भंडारण नियमों का कोई मापदंड नहीं रह गया है। भर्राशाही इस तरह है कि जो जहां जैसे पा रहा है, वैसे रेत खोद कर मनमाने तरीके से भंडारण कर कुछ सही तो बहुत कुछ फर्जी रायल्टी पर्ची के आधार पर सरकारी से लेकर निजी निर्माण में रेत खपा रहा है।अवैध रेत का कारोबार एक बड़े उद्योग की तरह तेजी से फल-फूल और फैल रहा है। उरगा थाना क्षेत्र से लगे ग्राम भिलाई खुर्द से होकर बहने वाली नदी और इससे लगी एसईसीएल द्वारा अधिग्रहित की गई जमीन का उपयोग अवैधानिक तरीके से किया जा रहा है। रेत का भंडारण के लिए जमीन का चिन्हांकन किया जाता है और उसके बाद निर्धारित मात्रा में भंडारण की अनुमति लेनी होती है। यहां तो एसईसीएल की सरकारी जमीन पर ही बिना भंडारण अनुमति के हजारों घन मीटर रेत भंडारित करके कथित तौर पर रायल्टी पर्ची दिखाकर बेची जा रही है।
इस कार्य में अवैध खननकर्ताओं को खनिज विभाग के एक चर्चित आरक्षक का भरपूर सहयोग मिला हुआ है जो समय-समय पर यहां पहुंचकर नजराना लेता है और सचेत भी कर जाता है। ऐसे लोगों के कारण ही पिछली सरकार ने पूरा का पूरा महकमा ही ट्रांसफर कर दिया था।
नदी में दो-तीन जेसीबी उतार कर खनन कार्य कराया जाता है क्योंकि देखने और रोकने वाला कोई नहीं। जिले में रेत खनन और भंडारण के अनुमति प्राप्त कुछ ही स्थल हैं, इन स्थलों को छोड़कर जहां कहीं भी रेत का भंडारण नजर आता हो, उस पर कार्रवाई तो बनती है किंतु एक राज्य में अलग-अलग जिलों में स्थानीय पुलिस और प्रशासन के द्वारा अपने-अपने हिसाब से नियम-कायदे लागू करने के कारण इस तरह के हालात निर्मित हो रहे हैं। रोजी-रोटी के लिए काम जरूरी पर यहां तो इसकी आड़ में माफियाओं का मनोबल बढ़ने के साथ-साथ बेशकीमती खनिज और लाखों-करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान सरकार को उठाना पड़ रहा है। सरकार के नुमाइंदे ही सरकार को चपत लगाने पर आतुर हों तो तो नुकसान का आंकड़ा अनुमानहीन हो जाता है। जिले में कहीं न कहीं विभाग प्रमुखों में समन्वय का अभाव बना हुआ है अन्यथा सरकारी संपत्ति,प्राकृतिक खनिज संसाधनों के अवैध दोहन की रोकथाम के लिए पर्यावरण संरक्षण मण्डल, परिवहन विभाग, उड़नदस्ता दल, पुलिस और राजस्व अमला मिलकर नकेल कस सकते हैं। वह भी एक दौर पिछले एक साल में था जब रेत चोरी पर fir दर्ज की गई,आधी रात को राजस्व अमला नदी में उतरकर कार्रवाई करता था।
मजे की बात तो यह भी है कि जनप्रतिनिधियों में गजब की लम्बी खमोशी है,वे जानते-समझते हैं लेकिन करते कुछ नहीं। बैठकों में निर्देश देना तो एक औपचारिकता साबित होने लगी है,निर्देश का पालन हवा-हवाई….। इस बीच मंगलवार को दो ट्रेक्टर शहर के नहर मार्ग से गुजरते वक्त पकड़कर पुलिस अभिरक्षा में कोतवाली थाना परिसर में खड़े कराए गए जो गंगापुरी व सज्जाद के बताए जाते हैं।