0 भू-विस्थापितों की रोजगार समस्या के समाधान का आश्वासन
0 गेवरा खदान में गतिरोध चेतावनी के साथ खत्म कराया प्रबन्धन ने
कोरबा-गेवरा। एसईसीएल की गेवरा परियोजना क्षेत्र अंतर्गत विस्थापन प्रभावित नरईबोध एवं अन्य ग्रामों के भू-विस्थापितों के द्वारा वैकल्पिक रोजगार दिये जाने के संबंध में 12 मार्च 2025 को गेवरा खदान बंद आंदोलन किया गया। इसके तारतम्य में महाप्रबंधक (कार्मिक) /क्षे०का०प्र० गेवरा क्षेत्र के कार्यालय में बैठक की गई।
गेवरा क्षेत्र के कार्यालय में भू-विस्थापितों एवं प्रबंधन के बीच वार्तालाप हुई जिसमें यह निर्णय लिया गया कि आगामी 17 मार्च 2025 को सभी कॉन्ट्रेक्टर के साथ वार्ता की जायेगी। साथ ही भू-विस्थापितों को यह भी चेतावनी दी गई कि भविष्य में किसी प्रकार की अवैधानिक आंदोलन करने पर प्रबंधन सख्त कार्यवाही हेतु बाध्य होगी।
0 आभार मानते हुए कहा- हक की लड़ाई जारी रहेगी
भूविस्थापित ग्रामवासी दिनेश साहू ,रमेश दास, उत्तम दास, विवेक दास ,वीरेंद्र भट्ट ,जय कौशिक, अश्वनी यादव ,देवनारायण चौहान ,सनी साह ,अरुण नन्हेट, दिलहरण चौहान ,चेतन केवट ,नेतराम कौशिक आदि के नेतृत्व में आंदोलन किया जा रहा है। इन्होंने सहयोगियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि अपना अधिकार भिखारी बनकर मांगना पड़ता है। देश संविधान से चलता है और संविधान के रखवालोँ से हमें अपना मौलिक अधिकार, संवैधानिक अधिकार भिखारी बनकर मांगना पड़ता है,ऐसी स्थिति लाकर रख दी है भ्रष्ट शासन-प्रशासन ,प्रबंधन ने। यहां प्रभावित ग्रामवासी कई सालों से अपने अधिकारों के लिए भटक रहे हैं,आंदोलन कर रहे हैं, क्योंकि अधिकारों के रक्षक ही भक्षक बन बैठे हैं तो आम जनता किससे उम्मीद लगाए? जनप्रतिनिधि, विधायक, शासन-प्रशासन हमारी समस्या सुनना तो बहुत दूर की बात हमसे संपर्क रखने में भी कतराते हैं, क्योंकि सत्ता मिल जाने के बाद भूल जाना परंपरा बन गई है नेताओं की, इसलिए ग्रामवासी अपने अधिकारों के लिए लगातार हड़ताल करते आ रहे हैं और करते रहेंगे। इन्होंने कहा कि प्रबंधन को हजार बार अवगत कराया है कि भारी मात्रा में भ्रष्टाचार हो रहा है कि- गेवरा परियोजना में कार्यरत निजी कंपनियों में पैसा देकर काम दिया जा रहा है और भू विस्थापितों को नजरअंदाज किया जा रहा है। लाइट, बिजली ,पानी, सड़क, हैवी ब्लास्टिंग इन सभी समस्याओं के लिए ग्रामवासी निरंतर प्रयास कर रहे हैं और करते रहेंगे, जब तक कि सफलता मिल नहीं जाती तब तक संघर्ष जारी रहेगी क्योंकि गेवरा परियोजना के अधिकारी दुनिया भर के बहाने बना बनाकर इधर-उधर घुमा रहे हैं। लगातार FIR की धमकी दे रहे हैं फिर भी ग्रामवासी डटे हुए हैं और ग्रामवासी उचित संवैधानिक निर्णय की तलाश में भटक रहे हैं।
0 शहीद गोपाल दास के पुत्र ने उठाया बीड़ा
इस कड़ी में अवगत कराना चाहेंगे वर्ष 1997 में अपने जल, जंगल ,जमीन को बचाने के लिए नराइबोध गोलीकांड में शहीद हुए फिरतू दास व स्व.गोपाल दास में से गोपाल दास के पुत्र रमेश दास ने संघर्ष को आगे बढ़ाया है। हर समस्या और हर ग्रामवासी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर शुरू से लड़ाई लड़ रहे हैं। अपने पिता के संघर्षों को देखकर बड़ा हुआ पुत्र के साथ समस्त ग्रामवासी भी हर लड़ाई में साथ खड़े हैं जिससे लड़ने में आसानी हो रही है।
