कोरबा। कोरबा का जिला शिक्षा विभाग काफी दिनों से दुर्भावना और तथाकथित राजनीति का अखाड़ा बनकर रह गया है। यहां घटित होने वाले घटनाक्रमों से लेकर की जाने वाली शिकायतें और उन शिकायतों के जांच में निराधार साबित होने के बाद भी मामलों को जबरिया तूल देने की कोशिश ने यह सवाल अनायास ही खड़ा कर दिया है कि आखिर डीएमसी मनोज पांडेय के खिलाफ कार्रवाई होने से सीधा फायदा किसको होगा?
शिकवा-शिकायतों को सोची समझी रणनीति के तहत अलग-अलग स्वरूप देने का काम बाहर से भी कुछ लोगों के द्वारा किया जा रहा है जिससे आपसी समन्वय बिगड़ने के साथ-साथ कहीं ना कहीं जिला शिक्षा विभाग की प्रशासनिक व्यवस्था और अधीनस्थ कर्मचारियों की निरंकुशता भी सामने आ रही है।
0 प्रमाणित अपराधों में सजा से बचे हैं,निराधार शिकायत को तूल दिया जा रहा
यहां एक बड़ी गजब की स्थिति शिक्षा विभाग के कुछ मामलों में बनी हुई है जिसमें प्रमाणित हो चुके अपराधों में सम्मिलित लोगों को लगातार शीर्ष अभयदान मिलता जा रहा है और वह उन अपराधों की सजा का दंड पाने से वंचित हैं। ये लोग कहीं ना कहीं एप्रोच लगाकर, सामाजिक एप्रोच लगाकर बचे हुए हैं। ऐसे लोग न सिर्फ विभाग बल्कि सिस्टम के लिए भी नासूर हैं और सजा के हकदार भी। दूसरी तरफ वह शिकायत जिसकी दो-दो बार जांच कराई गई और जांच में विभाग के ही कर्मियों ने शिकायत को गलत ठहराते हुए अपना अभिमत जांच अधिकारियों के समक्ष रखा है, यहां तक कि शिकायतकर्ता ने भी शिकायत के मूल बिंदु से हटकर अपने बयान दर्ज कराए, ऐसे में शिकायत की प्रामाणिकता पर जहां संदेह उत्पन्न होने लगा है वहीं यह बात भी मुखर हो रही है कि डीएमसी मनोज पांडेय सम्भवतः जातिगत समीकरणों की राजनीति का शिकार हो रहे हैं। विभाग में यह चर्चा कर्मचारियों के बीच ही गर्म है कि आखिर मनोज पांडेय के खिलाफ रची जा रही साजिश से किसको सीधा-सीधा लाभ होगा या किसकी मंशा पूर्ण होगी? महकमे में चर्चा है कि पूरे घटनाक्रम को महिला संबंधी अपराध करने का प्रयास (अर्थात अपराध हुआ नहीं) से जोड़कर साजिश रची गई है। यह मामला चर्चा में है तो दूसरी तरफ विभाग के ही एक अधिकारी के खिलाफ पूर्व में पॉक्सो एक्ट का मामला पंजीबद्ध हुआ है। नाबालिग बच्ची के साथ किए गए उक्त अधिकारी द्वारा कृत्य को लेकर अपराध दर्ज होने के बाद भी उसके दामन दागदार नहीं हुए हैं। बताया जा रहा है कि पर्दे के पीछे से इस दागदार शख्स के साथ-साथ जातिगत समीकरण को सामने रखकर अपने भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने वाले तत्कालीन अधिकारी ने मिलकर यह पूरी साजिश रची है और इन साजिशों के कारण शिक्षा विभाग का वातावरण दूषित होने लगा है।