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छत्तीसगढ़ में 43 प्रकार के सांप, कोबरा का विष करैत से ज्यादा घातक

Admin
Last updated: 25/03/2025 10:07 AM
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6 Min Read
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    0 सर्प दंश प्रबंधन पर कोरबा में प्रथम राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन , बड़ी संख्या में डॉक्टर्स, विशेषज्ञ शामिल हुए

    0 वर्ष 2030 तक सर्प दंश से मृत्यु दर को आधा करना केंद्र सरकार का लक्ष्य

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        कोरबा । राज्य में 44% भू-भाग वनों से आच्छादित है और यहां की 70% जनसंख्या आजीविका के लिए आज भी कृषि पर निर्भर है। जिस वजह से यहां पर सांपों के साथ आमना-सामना होना एक सामान्य बात है और इसी वजह से यहां पर सर्पदंश की घटनाएं भी होती हैं। अगर हम देश में देखें तो छत्तीसगढ़ का नाम सर्पदंश से होने वाली मृत्यु में नहीं आता जिसका एक बड़ा कारण है कि कई सर्प दंश केसेस रिपोर्ट ही नहीं होते। आज भी लोग जागरूकता के अभाव में झाड़ फूंक पर पर भरोसा करते हैं बनिस्बत अस्पताल जाने के। कोरबा वन मंडल एवं नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी द्वारा सर्पदंश प्रबन्धन पर कार्यशाला कोरबा जिले में किंग कोबरा कंजर्वेशन प्रोजेक्ट के तहत रखी गई। इस कार्यशाला को स्वास्थ्य विभाग के साथ साझा किया गया एवं एसईसीएल और वेदांता बालको को द्वारा वित्तीय मदद प्रदान की गई।

        इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर महापौर संजू देवी राजपू , विशिष्ट अतिथि जिला भाजपा अध्यक्ष मनोज शर्मा,कलेक्टर अजीत बसंत, अरविंद पी एम डीएफओ कोरबा, कुमार निशांत डीएफओ कटघोरा, निगम आयुक्त आशुतोष पांडेय, सीएमओ एस एन केशरी, नगर पालिका अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राजपूत, संतोष देवेंगन महामंत्री भाजपा साथ ही छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिले से आए 350 डॉक्टर्स, कई जिलों से 30 रेस्क्यूर्स, मेडिकल कॉलेज से बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स शामिल हुए।

        कार्यक्रम की शुरुआत डीएफओ अरविंद पीएम ने की और उन्होंने इस कार्यक्रम के उद्देश्य और किंग कोबरा कंजर्वेशन प्रोजेक्ट के बारे में बताया। इसके पश्चात नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी से एम सूरज ने कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया की क्यों सर्पदंश एक बड़ी समस्या है और इसके निराकरण हेतु स्वास्थ्य, वन विभाग, पुलिस विभाग, रेवेन्यू विभाग, आशा, उसकी संस्थाएं विशेषज्ञ आदि को एक मंच पर आकर इस समस्या का हल निकालना पड़ेगा।

        इसके पश्चात स्वास्थ्य विभाग से सीएमओ एस एन केसरी ने बताया कि पिछले 30 सालों में पहली बार इस विषय पर ऐसा वृहद कार्यक्रम देखने को मिला। इस समस्या को हल करने ऐसे कार्यक्रमों की जरूरत है जिससे हेल्थ वर्कर्स में जागरूकता फैलेगी और सर्पदंश का बेहतर प्रबंधन होगा।

        महापौर श्रीमती संजू देवी राजपूत ने कहा कि कोरबा वन मंडल और नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के की यह कार्यशाला बेहद महत्वपूर्ण है और सर्प दंश के प्रबंधन हेतु एक बेहतर तरीका है। कोरबा वन मंडल द्वारा दुर्लभ सांप किंग कोबरा के संरक्षण पर किया जा रहा कार्य सिर्फ इस जीव के लिए नहीं वरन कोरबा और छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है। आज कोरबा और अन्य जिलों में कहीं भी यदि घरों में सांप निकलते हैं तो उन्हें सुरक्षित निकालने और सर्पदंश की घटनाओं में कमी लाने में रेस्क्यू टीम का बहुत बड़ा हाथ रहा है।

        विषय विशेषज्ञ चैतन्य मालिक जो सरगुजा से संगवारी नामक संस्था से आए, उन्होंने बताया कि कैसे सर्प दंश के मामले को प्रबंधन करें। किन मौसमों में और किन परिस्थिति में क्या तरीके उपयोग में लाना हैं इस पर विस्तृत जानकारी दिए। एंटीवेनम की कितनी मात्रा कब-कब देना चाहिए, व कैसे सर्प दंश के मरीज का प्रबंधन किया जाए, यह भी बताया।

        एम्स, रायपुर से आए कृष्ण दत्त चावली ने बताया कि सर्प दंश में प्राथमिक उपचार कैसे करें, कैसे पहचाने कि सर्प ने काटने के बाद पीड़ित के शरीर में विष छोड़ा है या नहीं। दूसरा, जब सर्प दंश में मृत्यु हो जाती है तब उस स्थिति में मुआवजा प्राप्त करने हेतु कैसे फॉरेंसिक का उपयोग किया जाता हैं। ऑटोप्सी करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

        सर्प विशेषज्ञ विवेक शर्मा ने सांपों की पहचान कैसे करें, विषैले और विषहीन के दंश के निशान में क्या फर्क होता हैं। उनका डिस्ट्रिब्यूशन छत्तीसगढ़ में कैसा है,यह बताया। कुल 43 प्रकार के सांप छत्तीसगढ़ में पाए जाते हैं। आम धारणा है कि करैत का विष ज्यादा असरदार होता है लेकिन कोबरा का विष करैत से ज्यादा घातक होता हैं।

        कोरबा की नायब तहसीलदार श्रीमती सविता सिदार ने बताया कि सर्प दंश से मृत्यु पर रेवेन्यू बुक सर्कुलर पार्ट 6(4) नियम अनुसार 4 लाख रुपये तक का मुआवजा मिल सकता हैं।

        नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के एम सूरज ने NAPSE (नेशनल एक्शन प्लान फॉर प्रिवेंशन ऑफ स्नैक बाइट इनवेनमिंग) एक्शन प्लान के बारे में जानकारी दी। यह भारत सरकार का प्लान है जिसका उद्देश्य 2030 तक सर्प दंश में मृत्यु के दर को आधा करने का है। हाल ही में भारत सरकार द्वारा सर्प दंश को नोटिफायेबल (सर्पदंश की सूचना दर्ज कराना) घोषित करने राज्य सरकार को पत्र लिखा गया है।
        राज्य स्तर पर एक कमेटी बनाने की जरूरत है जिसमें वन विभाग, राजस्व विभाग, स्वास्थ्य विभाग, विशेषज्ञ, सर्प बचाव दल की मदद से बनाया जाए जिससे ऐसे मामले देखें तो उनका भी सर्प दंश का इलाज करने में आत्मविश्वास बढ़े। कार्यक्रम में विशेषज्ञों को किंग कोबरा की तस्वीर स्मृति चिन्ह के रूप में भेंट की गई।

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