0 वर्षो से जमे SDO,रेंजर व डिप्टी रेंजर से लेकर बीटगार्ड बने राजदार
0 गड़बड़ियों की जांच रिपोर्ट नहीं करते सार्वजनिक, कार्रवाई की फाइलें दबी
कोरबा। कोरबा जिले के जंगलों को चंद वन अफसरों ने अपना चारागाह बना लिया है। जंगल में मंगल करते हुए इन्होंने न सिर्फ वन संपदा को अवैध रूप से दोहन का माध्यम बनाया बल्कि वनों के विकास से लेकर जंगलों के भीतर विभिन्न संसाधनों के निर्माण में करोड़ों-अरबों रुपए के भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है। मामले पुराने हों या ताजातरीन, किसी भी प्रकरण में ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हो सकी है जबकि प्रदेश में सरकार बदलती रही है। विपक्ष में रहने पर सत्ता पक्ष के विरुद्ध भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का आरोप लगाकर सदन में शोर मचाकर उपस्थिति दर्ज कराने का काम भी करते हैं लेकिन कार्रवाई के मामले में फाइलें वन विभाग के अफसर ऊर्जाधानी से लेकर संस्कारधानी और राजधानी में किस कोने में दबा देते हैं, यह जानना जनप्रतिनिधि से लेकर विधायक और मंत्री भी जरूरी नहीं समझते। हां,अगर किसी का ईगो हर्ट हुआ या काम नहीं बना तो वे जरूर जड़ खोदने पर तत्पर हो जाएंगे लेकिन बाकी समय ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों और उनके मातहत भ्रष्ट कर्मचारियों को संरक्षण देने में सफेदपोश पीछे नहीं रहते। ऐसे भ्रष्ट वन अधिकारियों के संरक्षण में फल फूल रहे करोड़पति ठेकेदार, जंगल की जमीनों को राजस्व भूमि में बदलवाने, बड़े झाड़ का जंगल को खरीदने वाले धन्ना सेठ भी सत्ता-संगठन के साथ मिलकर इनको बचाने में पीछे नहीं हटते। यही वजह है कि भ्रष्टाचारियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है और सरकार की खुली आँखों मे धूल झोंक कर करोड़ों-अरबों का नुकसान हो रहा है,वन और छोटे-बड़े झाड़ के जंगलों में उद्योग खुल रहे हैं।इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि कोरबा जिला भी इस मामले में टॉप पर चल रहा है।
कटघोरा डीएफओ कुमार निशांत पर पद का दुरुपयोग कर भ्रष्ट्राचार और कमीशनखोरी कर राज्य शासन के तिजोरी को नुकसान पहुँचाने के मामले में जांच चल रही है। इसके बावजूद उनके कार्यप्रणाली पर सुधार नही आया है तथा कटघोरा वनमंडल में पदस्थ रहते हुए मनमाने भ्रष्ट्राचार को अंजाम दे रहे है। विधानसभा में भाजपा विधायक राजेश मूणत द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 24 भ्रष्ट्र आईएफएस व 27 आईएएस अफसरों के विरुद्ध हो रहे जांच के अतारांकित जवाब लिखित में दिए है। जिनमे से एक मौजूदा आईएफएस कुमार निशांत का नाम भी शामिल है।
भ्रष्ट अधिकारियों में कुछ को आरोपी बनाकर सलाखों के पीछे भी पहुँचा दिया गया है तो कुछ जमानत पर बाहर है, वहीं कुछ अफसरों पर विभागीय जांच चल रही है। लेकिन ये अभी कई मलाईदार पदों पर आसीन है। उनमें से एक आईएफएस है कुमार निशांत। जानकारी के अनुसार जो 2016 बैच के अधिकारी है एवं 27 फरवरी 2023 को जिन्होंने कटघोरा वनमंडल का चार्ज लिया है। आईएफएस कुमार निशांत के विरुद्ध राज्य शासन द्वारा कराए जा रहे भ्रष्ट्राचार की जांच के बावजूद वे कटघोरा वनमंडल की कुर्सी पर भ्रष्ट्राचार की मलाई छानने में पीछे नही है तथा इनकी मौजूदगी में ऐसे- ऐसे कारनामे होते आ रहे हैं, जो न केवल अचंभित करने वाले हैं बल्कि भ्रष्ट्राचार की कहानी को खुला बयां कर रहे हैं। उनके भ्रष्टाचार के सुर में निलम्बन की राह ताक रहे भ्रष्ट एसडीओ संजय त्रिपाठी भी बराबर की ताल मिला रहे हैं।
कटघोरा वनमंडल में इनके पूर्व पदस्थ रही डीएफओ शमा फारुखी व प्रेमलता यादव के कार्यकाल में तो भ्रष्ट्राचार की इंतहा ही हो गई थी। समा फारुखी ने तो भ्रष्टाचार का ऐसा जलवा बिखेरा जिसकी गूंज विधानसभा तक पहुंची लेकिन विधायक धरमलाल कौशिक के द्वारा मामला उठाए जाने के बाद भी सदन ने कोई संज्ञान नहीं लिया। स्टाप डेम को लेकर गलत जानकारी सदन में प्रस्तुत कराई गई और यह रिपोर्ट डीएफओ समा फारूकी ने ही बनवाई थी। ठेकेदारों सप्लायरों को भुगतान के एवज में 40% कमीशन का मामला भी इनके कार्यकाल में गुंजा। संभवत: या पहला मौका रहा होगा जब भुगतान के लिए ठेकेदारों और सप्लायरों को न्यायालय की शरण लेनी पड़ी है। अधिकारियों की दुर्भावना का शिकार हो रहे कई ठेकेदार व सप्लायर आज भी अपने भुगतान पाने के लिए चक्कर काट रहे हैं। दर्जनों मजदूरों के भुगतान भी वर्षों से लंबित हैं। उन ठेकेदारों-सप्लायरों के काम बड़ी आसानी से हो रहे हैं जो इनकी जी हुजूरी करते हैं या फिर उनके लिए सत्ता व संगठन के बीच तालमेल बनाते हैं।
फारुखी का तबादला के बाद डीएफओ प्रेमलता यादव के कार्यकाल में पेड़ों की कटाई का मुद्दा छाया रहा। अब कुमार निशांत डीएफओ हैं तो एसडीओ संजय त्रिपाठी के साथ मिलकर खेल रहे हैं। स्टाप डेम का मुद्दा कटघोरा वन मंडल में काफी गंभीर हो चला है।
कुमार निशांत की पदस्थापना से उम्मीदें जागी थी कि विभागीय कार्यों में कसावट के साथ-साथ गड़बड़ घोटालों पर अंकुश लगेगा। लेकिन ये अधिकारी तो भ्रष्ट्राचार मामले में एक कदम आगे निकले। पसान रेंज में कैम्पा मद से कराए गए करोड़ो की लागत से सिंचित रोपणी पौधारोपण में घोटाले की जांच का जिम्मा पाली उप वनमंडल के एसडीओ चंद्रकांत टिकरिया को सौंपा गया था। भ्रष्ट्राचार के जिस मामले में 265 हेक्टेयर में पौधारोपण व उन पौधों को सींचने के लिए 21 बोर का खनन करा उन्हें जनरेटर के माध्यम से चलाया गया। जिसकी जांच रिपोर्ट आज तलक सार्वजनिक नही हुई और न ही किसी प्रकार के कार्रवाई का पता चला जबकि करीब 7 करोड़ की गड़बड़ी पकड़ी गई है। अन्य रेंजों में लेन्टाना उन्मूलन खरपतवार के नाम पर भी भारी-भरकम राशि खर्च बताया गया है, तो तालाब-डबरी निर्माण के नाम पर भी करोड़ो का वारा-न्यारा किया गया। तालाब निर्माण कार्यों में फर्जी मजदूर लगाकर निजी खातों में भुगतान करने का मामला भी सामने आया लेकिन बीटगार्ड प्रद्युमन सिंह पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। रेंजर मृत्युंजय शर्मा ने राष्ट्रीय योजना में करोड़ों की गड़बड़ी की। उन पर रिकवरी निकली तो वे रिकवरी का पैसा जमा कर रहे हैं लेकिन उन्होंने जो छल किया उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। जंगल में सड़कों का निर्माण हो या फिर नर्सरी में डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण का मामला हो अथवा जंगलों के भीतर वन्य प्राणियों के लिए तालाब निर्माण की बात हो, इन सभी में व्यापक भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है। जंगलों के भीतर तालाबों का निर्माण, स्टाप डेम का निर्माण के भौतिक सत्यापन की आवश्यकता है। यह जांच कोरबा जिला नहीं बल्कि दूसरे जिले की टीम से कराये जाने की जरूरत है।
नरवा विकास योजना से लेकर कैम्पा सहित विभागीय मद से होने वाले कार्यों की आड़ में जमकर झोली भरी गई है। आवश्यकता है कि समा फारुकी के कटघोरा वन मण्डल में प्रारंभिक कार्यकाल से लेकर मौजूदा डीएफओ के कार्यकाल के मध्य वन मंडल में स्वीकृत हुए कार्यों का भौतिक सत्यापन एवं खर्च की विस्तृत जांच कराई जाए। कोरबा वन मंडल भी भ्रष्टाचार के मामले में अछूता नहीं है जिसमें सबसे बड़ा मामला बालको वन परिक्षेत्र में दूधीटांगर वन मार्ग निर्माण का सामने आया लेकिन रेंजर संजय लकड़ा के कार्यकाल वाले चर्चित इस मामले में भी अधिकारियों ने लीपापोती कर दी और इसे ट्रैकिंग का नाम देकर करोड़ों की गड़बड़ियों पर पर्दा डालने का काम किया गया है। गड़बड़ियों की जांच राज्य शासन द्वारा निष्पक्ष तरीके से कराई जाए तो चौंकाने वाले तथ्य उजागर होंगे
0 आईएएस व आईएफएस अफसर, जिनके भ्रष्ट्राचार की हो रही जांच
विधायक मूणत ने विधानसभा में सवाल पूछा था कि वर्ष 2019 से 16 दिसंबर 2024 तक कुल 24 आईएफएस अधिकारियों तथा 27 आईएएस अफसरों के खिलाफ विभिन्न विषयों में कुल 31 शिकायतें पंजीबद्ध कर जांच की जा रही है। इन शिकायतों की जांच किस स्तर के अधिकारी कर रहे है, शिकायतों की जांच शीघ्र पूरा हो इसके लिए क्या निर्देश जारी किए गए है। मुख्यमंत्री ने जवाब में कहा कि शिकायतों की जांच शीघ्र पूरा हो इसके लिए ईओडब्ल्यू, एसीबी द्वारा जांचकर्ता अधिकारियों को समय- समय पर निर्देशित किये जा रहे है। प्रकरणों के अनुपात में साधनों की गंभीर कमी होने के बावजूद जांच त्वरित गति से की जा रही है। जिन आईएफएस अधिकारियों पर भ्रष्ट्राचार के जांच चल रही है उनमें कुमार निशांत, शमा फारुखी, एस वेंकटाचलम, के के खेलवार, गोवर्धन, आर के जांगड़े, आलोक तिवारी, उत्तम कुमार गुप्ता, अरुण पाण्डेय, पंकज राजपूत, एस के पैकरा, रमेश चंद दुग्गा, गुरुनाथन एस, चूरामणि सिंह, लक्ष्मण सिंह, विवेकानंद झा, जनकराम नायक, राकेश चतुर्वेदी, दिलेश्वर साहू, शशि कुमार, आलोक कटियार तथा आईएएस अफसरों में राजेश कुमार टोप्पो, संजय अलंग, रानू साहू, समीर विश्वोई, डॉ. आलोक शुक्ला, अनिल टुटेजा, विवेक ढांड, निरंजन दास, कुलदीप शर्मा, सुरेंद्र कुमार जायसवाल, गौरव द्विवेदी, नरेंद्र कुमार दुग्गा, अशोक अग्रवाल, पुष्पा साहू, सुधाकर खलखो, राजेश सिंह राणा, डी डी सिंह, एस प्रकाश, अमृत कुमार खलखो, नूपुर राशि पन्ना, किरण कौशल, टी राधाकृष्णन, संजीव कुमार झा, इफ्फत आरा, भुवनेश यादव, जीवन किशोर ध्रुव व टामन सिंह सोनवानी शामिल है।