बढ़ती बीमारी:स्वच्छता का पता ना फॉगिंग मशीन का, रोल मॉडल बने नेताओं को झाड़ू उठाने की जरूरत
0 खामोश जनता सब कुछ अधिकारियों के भरोसे छोड़कर, नेताओं की ओर उम्मीद भरी निगाहों से ताक रही
कोरबा। डेंगू जैसे घातक संक्रामक रोगों की चपेट में कोरबा शहरी क्षेत्र सहित जिले के कई इलाके काफी दिनों से हैं। मौसमगत बीमारियों के साथ-साथ डेंगू और अन्य बुखार के मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है वहीं मच्छर मारने वाला निगम का फॉगिंग मशीन सड़क से गायब है। संक्रामक रोगों के संवाहक मच्छर-मक्खियों के पनपने की वजह ज्यादातर गंदगियां होती हैं। इनके अलावा जगह-जगह बिखरे और सड़ते कचरे भी।
इन दिनों स्वच्छता पखवाड़ा का आयोजन जोर-शोर से किया जा रहा है जिसका समापन स्वच्छता का संदेश देने वाले बापू की जन्म जयंती के अवसर पर होगा। दूसरी तरफ जिस तरह से चारों तरफ कचरे और गंदगी जगह-जगह सामान्य रूप से नजर आ जाते हैं और जहां उनकी बहुतायत होती है, वह क्षेत्र भी नजर आ जाते हैं तब ऐसे में “स्वच्छता ही सेवा अभियान” के नाम से चलाया जा रहा पखवाड़ा क्षेत्र में सिर्फ और सिर्फ बेमानी कहा जा सकता है।
साफ-सुथरा जगह पर गिरी हुई पत्तियों को समेटने के लिए झाड़ू चलवा कर नेताओं के साथ अधिकारियों की फोटोबाजी से स्वच्छता पखवाड़ा के अभियान को सफल बनाने की कवायदों के बीच जो तस्वीर सामने आती है, वह हकीकत बताने के लिए काफी है। समाचारों की सुर्खियों में रहने वाले रोल मॉडल नेताओं को चाहिए कि वह झाड़ू, बेलचा, तगाड़ी, फ़ावड़ा लेकर मैदान पर उतरें और सार्वजनिक स्थान पर जहां कि कचरों का ढेर है, अंबार लगा हुआ है,कई दिनों से सफाई नहीं हुई है, ऐसी जगह पर पहुंचकर एक मॉडल प्रस्तुत करें। इसी बहाने उनके साथ सफाई अमला और अधिकारी भी हो न हो जुट जाएं।
यह जो तस्वीर नजर आ रही है यह VIP मार्ग पर स्थित शहर के सबसे बड़े बुधवारी बाजार की है जो कभी साप्ताहिक बाजार हुआ करता था, अब वह मनमानी पूर्वक बड़े डेली मार्केट के रूप में तब्दील हो गया है।
बाजार के अंदर और बाहर चारों तरफ गंदगी पसरी हुई है। चौतरफा अतिक्रमण भी बेतहाशा हुए हैं/हो रहे हैं और नगर निगम के अधिकारियों की जानकारी में। स्पेशल ड्राइव के तहत स्वच्छता अभियान यहां चलाए जाने की जरूरत है।
कुछ महीना पहले मेन रोड की तरफ के नाला की सफाई कराई गई। वर्षों से जमा कई टन गंदगियों को निकाला गया और मरम्मत की थूक-पालिश करवा कर उस पर फिर पुराने पत्थर ढक दिए गए। अब ये पत्थर जगह-जगह से धस चुके हैं और बेजा कब्जा में, निगम के संरक्षण में दुकान लगाने वालों की मेहरबानी से इसमें कचरे का ढेर भी लगने लगा है।
सब्जी बेचने वालों खासकर बड़े व्यापारियों के द्वारा कचरे का ढेर लगाया जा रहा है। बाजार शुल्क खत्म कर दिया गया है किसी तरह का शुल्क देना नहीं पड़ रहा है तो मनमानी भी बढ़ गई है।स्वच्छता कर्मी भी इधर-उधर झाड़ू लगाकर खाना पूर्ति करते दिखते हैं।
अगर कलेक्टर व निगम आयुक्त स्वयं बाजार में उतरकर ईमानदारी से चारों तरफ अंदर-बाहर घूमकर देखें तो उन्हें इस बात का पता चल जाएगा कि वे किस तरह से गुमराह हो रहे हैं। कागजों में सफाई संक्रामक रोगों के बढ़ने की एक बड़ी वजह कहीं जा सकती है।
यहां के दुकानदारों ने बताया कि नॉनवेज मार्केट के पास की नली लीकेज हो चुकी है और बरसात में पूरा गंदा पानी बाजार में घुसता है। इसी तरह vip मार्ग से गुजरने के दौरान जो नाली नजर आती है, उसकी तो सफाई ही नहीं हुई है।
जिस समय बड़ा नाला उखाडा गया था उस समय कहा गया था कि छोटी नाली भी सफाई की जाएगी लेकिन बुधवारी बाजार काम्प्लेक्स से लेकर बाजार तक जो नाली निकली है, वह तो कहीं साफ नजर आती ही नहीं।
एसबीआई के एटीएम के सामने हमेशा नाली भरी रहती है और आगे बढ़ने पर यही नाली ओवरफ्लो होकर गंदा पानी बाजार में फैलाती है।
बाजार के भीतर तख्त लगाकर कब्जे किए गए हैं,सड़क तक बॉस-बल्ली गाड़ दिए गए हैं और तख्तों के नीचे गंदगी का अंबार है।
आसपास ही सब्जियों के पसरे लगते हैं, चना-मुर्रा, चाय-नाश्ता, खाद्य सामग्रियों की दुकान लगती है। लोग यहां खाने-पीने, खरीदारी करने पहुंचते हैं लेकिन पूरी तरह से गंदगी के बीच असहजता का आलम है। सिस्टम नाम की चिड़िया यहां पर भी नहीं मार रही है।
इसी प्रकार बाजार के भीतर से बुधवारी बस्ती की ओर जाने के दो अलग-अलग रास्ते हैं। सुलभ शौचालय भी यहां निर्मित है। सुलभ शौचालय का गंदा पानी भीतर की सड़कों पर बहता रहता है। उसके बगल की दीवार से लगकर कचरे का ढेर पड़ा रहता है और इसी के अगल-बगल से गुजर कर लोग अपने घरों दुकानों और बाजार तक आना-जाना करते हैं।
यह हाल सिर्फ बुधवारी बाजार का नहीं,अन्य क्षेत्रीय बाजारों का भी है और यह कोई एक दिन की बात नहीं बल्कि 365 दिन की कहानी है लेकिन क्या करें जब जनप्रतिनिधियों और जिम्मेदारअधिकारियों के आंख पर पट्टी बंधी रहेगी..! जनप्रतिनिधि देखकर भी खामोश रहेंगे तो भुगतना आम जनता को ही पड़ेगा। जनता भी बड़ी खामोश है, वह सब कुछ अधिकारियों के भरोसे छोड़कर नेताओं की ओर उम्मीद भरी निगाहों से ताकते हुए इस इंतजार में रहती है कि कभी ना कभी तो अच्छा होगा लेकिन इस उम्मीद में 365 दिन कब निकल जाते हैं पता नहीं चलता और कागजों में साफ-सफाई के नाम पर हजारों-लाखों रुपए के भुगतान हो जाते हैं।
अभी चारों तरफ डेंगू का कहर फैला है लेकिन ब्लीचिंग पाउडर, कीटनाशक दवाओं का नियमित छिड़काव,फॉगिंग मशीन तो गायब हो गए हैं। एक-दो बार कुछ इलाकों में ब्लीचिंग पाउडर छिड़काव कर उसकी फोटो खिंचवाकर प्रचार तो बहुत जोर-शोर से किया जाता है लेकिन पब्लिक सब जानती है, उससे कुछ छिपा नहीं है।