0 डीएपी और नीम खली के नाम पर मिट्टी की आपूर्ति
0 बिजली का पता नहीं, बोर खुदवा दिया, पर चलाएंगे कैसे….?
कोरबा-कटघोरा। कोरबा जिले के जंगलों में वन विभाग द्वारा नचाए जा रहे भ्रष्टाचार के मोर की आवाज या तो वन मंत्री से लेकर वन विभाग के शीर्ष अधिकारियों के कानों तक नहीं पहुंच रही है या फिर सब कुछ सुनकर- जानकर, समझ कर भी अंजान बने बैठे हैं। यही वजह है कि कोरबा जिले के कटघोरा वन मंडल में एक से एक उजागर हुए भ्रष्टाचार के मामलों में, जांच में सही पाए गए तथ्यों के आधार पर कार्यवाही के मामले में ढीलाढाला रवैया अपनाया जा रहा है। इसकी वजह से गड़बड़ी करने वालों के मनोबल बढ़े हुए हैं और वह एक गड़बड़ी करने के बाद दूसरे को अंजाम देने की तैयारी में लगे हैं। अभी हाल ही में जिस पसान रेंज के पिपरिया, सीपतपारा में रकबा से अधिक भूमि पर पौधारोपण कर लाखों रुपए का गबन करने का मामला सामने आया और जिसमें जांच के बाद 45 लाख रुपए से अधिक की रिकवरी तत्कालीन एसडीओ बंजारे से लेकर अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों पर निकली है, इसी पसान रेंज में पौधारोपण घोटाले की एक और स्क्रिप्ट रेंजर की जानकारी में डिप्टी रेंजर व अन्य के द्वारा लिखी जा रही है। निश्चित ही इन सब से एसडीओ अनजान नहीं है और डीएफओ को या तो बताया गया है या फिर छुपाया जा रहा है। कुछ भी हो लेकिन वन विभाग के चंद अधिकारी और कर्मचारी मिली भगत करके सरकार को लाखों-करोड़ रुपए का चूना लगा रहे हैं।
एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक पेड़ मां के नाम अभियान को चौतरफा तवज्जो मिल रही है तो दूसरी तरफ बरसात के मौसम में पौधारोपण करने के नाम पर वन विभाग अपनी रोटी सेंक रहा है।
ताजा मामले में जो जानकारी निकलकर सामने आई है उसके मुताबिक पसान वन परिक्षेत्र के लैंगा सर्किल के सेमरा में जंगल में कक्ष क्रमांक पी-221 लैंगा से सेमरा के मध्य सड़क किनारे बहुत बड़े पैमाने पर मिश्रित पौधारोपण करने के नाम पर घोटाला की तरफ कदम बढ़ाया गया है।

विभागीय सूत्र के मुताबिक पूर्व में 5-6 साल पहले भी इसी कंपार्टमेंट में पौधारोपण हो चुका है। पहले जो पौधारोपण हुआ था, उसकी सुरक्षा के लिए बाड़बन्दी (सीमेंट पोल के तार लगाने का काम) हो चुका है।

0 10 साल के भीतर दूसरे रोपण पर सवाल
कैम्पा मद से 5 साल पूर्व् में कराए कार्य के बाद उसी एक ही स्थान पर 10 साल के भीतर दो बार पौधारोपण करोड़ों का फ्रॉड की तरफ न सिर्फ पूरा इशारा कर रहा है बल्कि यह धरातल पर हो रहा है। उसी जगह पर न सिर्फ समय से काफी पहले दूसरा पौधा रोपण कराया जा रहा है बल्कि सुरक्षा घेरा भी डबल लगाया जा रहा है। सूत्र की माने तो यह सब थोड़ा बहुत कार्य दिखाकर बाकी पैसा हजम करने की साजिश है।

भ्रष्टाचार का आलम यह है कि फ्लाई ऐश की बजाय लाल ईंट से मिट्टी की जोडाई कर चौकीदार कक्ष बनाया जा रहा है, इन्हें सीमेंट नहीं मिली। सूत्र बताते हैं कि डिप्टी रेंजर के भरोसे काम चल रहा और डिप्टी रेंजर बिलासपुर में रहते हैं जो कभी-कभी पसान या अपने दफ्तर आते हैं
0 दूर-दूर तक बिजली नहीं, फिर बोर क्यों

सिंचित रोपणी में पौधों की देखरेख और पानी की व्यवस्था करने के लिए उक्त कैम्पा राशि से बोर का खनन भी कराया जाता है। सेमरा की सिंचित रोपणी में नया बोर खुदवाया गया है। आश्चर्य की बात है कि यहां सेमरा में भी करीब 2 किलोमीटर के दायरे में ना तो बिजली है और ना ही पानी, ऐसे में बोर बिना बिजली के कैसे चलेगी? इसके पहले पिपरिया सीपतपारा की रोपणी में जहां तत्कालीन रेंजर ने कमाल किया और बिना बिजली के ही डेढ़ दर्जन से अधिक बोर खुदवा दिए गए लेकिन यह चलेंगे कैसे?इसके बारे में नहीं सोचा गया। वहां लगे बोर का टेस्टिंग 4 दिन तक किराए का जनरेटर मंगा कर कराया गया था लेकिन आज तक ना तो बिजली पहुंची है और नहीं बोर चालू हुए हैं।
0 खाद के नाम पर मिट्टी

सूत्र बताते हैं कि सिंचित रोपणी में पौधारोपण के लिए खाद (डीएपी) के नाम पर मिट्टी भिजवाया गया है। नीम खली के नाम पर भी मिट्टी भिजवाया गया है। यह खेल पूरे वनमण्डल में हुआ है। प्लास्टिक और जूट की बोरियों में भरवा कर खाद के नाम पर मिट्टी की आपूर्ति की गई है और पौधारोपण स्थल पर इसकी सैकड़ो बोरियां नजर आ रही हैं। यदि इन बोरियों को खोलकर जांच कराई जाए तो खाद के नाम पर मिट्टी निकलेगा, ऐसा सूत्र का दावा है।



