कोरबा। एसईसीएल और राजस्व विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर साँठगाँठ पूर्वक सुनियोजित तरीके से आर्थिक आपराधिक षडयंत्र रचने वाले खुशाल जायसवाल और राजेश जायसवाल के विरुद्ध अंततः अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया है। इनके साथ ही एसईसीएल के जिम्मेदार अधिकारियों और अन्य पर भी समान धाराओं में अपराध पंजीबद्ध हुआ है। मामले में विवेचना जारी है और पिछले ही दिनों सीबीआई की एक टीम ने ग्राम मलगांव और रलिया पहुंचकर जांच- पड़ताल को आगे बढ़ाया।
मुआवजा घोटाला में सीबीआई की एंट्री से संलिप्त सभी तरह के अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए हैं। SECL के अधिकारियों के साथ-साथ जिला प्रशासन के राजस्व विभाग से जुड़े कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका इस पूरे घोटाले में सामने आ रही है। 3 करोड़ 44 लाख का मुआवजा घोटाला पुष्ट हो चुका है और इसे खुशाल जायसवाल व राजेश जायसवाल ने मिलकर अंजाम दिया।
बता दें कि कई निजी लोगों के द्वारा SECL के अधिकारियों (पात्र संपत्ति के मालिक/उचित दावेदार का निर्धारण करने के लिए ज़िम्मेदार विभिन्न समितियों के अधिकारी) के साथ आपराधिक साज़िश कर सरकारी खजाने से 9 करोड़ से ज़्यादा की धोखाधड़ी की शिकायतों के विवेकपूर्ण वेरिफ़िकेशन से ACB/CBI को पता चला है कि खुशाल जायसवाल ने सरकारी ज़मीन पर बने घरों के लिए एक करोड़ साठ लाख रुपये से ज़्यादा का मुआवज़ा लिया और पाया है। सत्यसंवाद को मिली जानकारी के मुताबिक मलगांव, अमगांव (अमगांव में अलग-अलग फेज) जैसे गांवों में मौजूद सरकारी जमीन या दूसरों की जमीन पर बने घरों के लिए 7 से ज़्यादा बार अपने या अपने परिवार के करीबी सदस्यों के नाम पर एक करोड़ 83 लाख से ज़्यादा का मुआवजा क्लेम किया है और पाया है।
👉🏻क्या कहता है मुआवजा दावा का नियम
साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स बोर्ड के मुताबिक CBA एक्ट की धारा 9 (1) के तहत, जिसका मतलब है कि क्लेम करने वाला कम से कम पिछले पाँच सालों से साल में कम से कम छह महीने प्रोजेक्ट एरिया में रह रहा होना चाहिए। (लैंडलेस होमस्टेड के मामले में 3 साल)। खुशाल जायसवाल और राजेश जायसवाल ने कई बार एसेट्स (मकानों) के मुआवज़े के लिए आवेदन किया और यह शपथ पत्र दिया कि SECL द्वारा अधिग्रहण की गई ज़मीन पर उनका कोई दूसरा घर नहीं है और इसके बावजूद उन्होंने बाद में कई बार मुआवज़ा आवेदन किया और पाया। इन्होंने SECL के दूसरे अज्ञात लोगों और अज्ञात अधिकारियों के साथ साज़िश करके सरकारी खजाने से छल किया है।
👉🏻 बाद में निर्माण, बिना पात्रता सत्यापन बना मुआवजा
इसके अलावा, SECL द्वारा किसी भी तरह के मुआवज़े के लिए किसी भी दावे की पात्रता के लिए पहली ज़रूरत यह थी कि घर, कुएं, पेड़ वगैरह जैसी बताई गई संपत्तियां CBA (A&D) एक्ट, 1957 के सेक्शन 9/LA एक्ट, 1894 के सेक्शन 11 के तहत या दोनों के नोटिफिकेशन के पब्लिकेशन से पहले बनी होनी चाहिए, जिस तारीख को ज़मीन राज्य/केंद्र सरकार के पास आई थी, जो 2004, 2009 और 2010 है। जांच में तथ्य सामने आया कि जिन घरों के लिए इन्हें मुआवजा मिला है, वे बहुत बाद में बने थे, यानी उस ज़मीन के राज्य/केंद्र सरकार के पास जाने के बाद खुशाल जायसवाल द्वारा घर के लिए मुआवज़े के कई दावे किए गए। खुशाल जायसवाल और राजेश जायसवाल द्वारा घर के लिए मुआवज़े के कई दावों से पता चला कि इन्होंने दूसरों और SECLअधिकारियों से मिलकर साज़िश की है, जिन्होंने रकम देने से पहले दावे और घर के लिए मुआवज़े की पात्रता की ज़रूरतों को वेरिफ़ाई/चेक नहीं किया है।
👉🏻 दर्ज किया गया अपराध
इस तरह खुशाल जायसवाल और राजेश जायसवाल, ने दूसरे अज्ञात लोगों और अनजान SECL अधिकारियों की तरफ़ से की गई गलती से SECL को 3 करोड़ 44 लाख 403 रुपये की क्षति पहुंचाई है। जांच और तथ्यों के आधार पर खुशाल जायसवाल, राजेश जायसवाल, एसईसीएल के अज्ञात लोक सेवकों एवं अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी आर/डब्ल्यू 420 और पीसी अधिनियम 1988 (जैसा कि 2018 में संशोधित किया गया है) की धारा 13 (1) (ए) आर/डब्ल्यू 13 (2) एवं उसके मूल अपराधों के तहत नियमित मामला दर्ज कर लिया गया है।
KORBA BREAK:3.44 करोड़ का मुआवजा घोटाला पर FIR दर्ज, खुशाल-राजेश-SECL के अधिकारी व अन्य संलिप्त पाए गए



