0 अरबों की आय, व्यवस्था बदहाल 0 दौड़ाए जा रहे विकास के कागजी घोड़े
कोरबा। कोरबा जिले में विकास के कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं। दौड़ते कागजी घोड़े के बीच व्यवस्था दिनों दिन बदहाल होती जा रही है। बदहाल व्यवस्थाओं के बीच आम जनता काफी परेशान है और इस परेशानी को बढ़ाने का काम काफी दिनों से रेलवे विभाग भी कर रहा है। कोयला लदान में सर्वाधिक राजस्व वसूली करने वाला रेलवे अपनी व्यवस्थाओं को दुरुस्त नहीं कर पा रहा है, जिसका खामियाजा जनता को आए दिन भुगतना पड़ रहा है। आज सुबह हुए घटनाक्रम में रेलवे का पावर लाइन डाउन हो जाने की वजह से सीएसईबी चौक और ट्रांसपोर्ट नगर चौक का फाटक सुबह 7:41 से करीब 1 घण्टे तक बंद रहा। दोनों फाटक पर मालगाड़ी फंसी रही और बंद फाटक के दोनों तरफ जनता फंसी रही।
इसका कारण बताया गया कि रेलवे का पावर लाइन डाउन हो जाने के कारण करंट सप्लाई नहीं मिलने से ट्रेन आगे नहीं बढ़ सकी। बालको प्लांट के लिए कोयला लेने के लिए जा रही मालगाड़ी और सीएसईबी प्लांट के लिए कोयला लेकर निकली मालगाड़ी रास्ते में थम गई। दोनों फाटक जाम होने की वजह से सर्वाधिक परेशानी उन लोगों को हुई जो ड्यूटी करने के लिए घर से निकले। स्कूली बच्चे भी फाटक के दोनों और फंस गए, वे भी स्कूल नहीं जा पाए। कई लोग ट्रेन के नीचे से तो कुछ ने ऊपर से गुजर कर अपने गंतव्य के लिए रवाना हुए।
इस दौरान शारदा विहार रेलवे क्रॉसिंग को खोला गया लेकिन यहां भी जाम की स्थिति देखने को मिली। मालगाड़ी के एक कर्मी ने बताया कि इस तरह की स्थिति निर्मित होने से सुधार में कम से कम 2 से 3 घंटे लग जाते हैं।
0 कई बार बताया,पर सुधार नहीं
एक कर्मचारी ने बताया कि रेलवे का अपना अलग ट्रांसमिशन लाइन है और इसके लिए वह सीएसईबी को भुगतान करता है, लेकिन सेंट्रल अथॉरिटी होने के कारण सारी जिम्मेदारी रेलवे की है। इससे पहले भी पावर लाइन डिस्टर्ब होने के कारण सुधार के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को जानकारी दी गई, शिकायत भी की गई लेकिन रेलवे के अधिकारियों द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया गया और समस्या बढ़ती जा रही है। अनदेखी और उदासीनता का खामियाजा आज भी आम जनता को भुगतना पड़ा। बताया गया कि रेलवे के पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि उसके अपने सब स्टेशन से विद्युत सप्लाई बन्द होने पर तुरंत दूसरी लाइन से सप्लाई ली जा सके।
0 ओवरब्रिज की याद आई
आज जब लोग घंटे तक दोनों फाटक पर फंसे रहे, स्कूली बच्चे आगे नहीं बढ़ पाए, गाड़ियों को दूसरा रास्ता पकड़ना पड़ा तब एक बार फिर यहां पूर्व में प्रस्तावित वाई शेप ओवर ब्रिज की याद लोगों ने की। यह विडंबना है कि कोरबा खासकर शहरी क्षेत्र में बढ़ते यातायात के दबाव को कम करने के लिए ओवरब्रिज, अंडरब्रिज की जो भी योजनाएं कालांतर में बनाई गई अथवा बनाई जा रही हैं, उन्हें अमलीजामा पहनाने में गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जनप्रतिनिधि घोषणाओं और वादों के घोड़े दौड़ा रहे हैं लेकिन इनसे जनता का भला नहीं हो पा रहा है। वह हर दिन सड़कों के गड्ढों से त्रस्त तो हो ही रही है, सड़कों पर अतिक्रमण, जाम की समस्या से भी परेशान है। उस पर इस तरह की आपातकालीन परेशानी और भी मुसीबत खड़ी कर देती है।
0 रेलवे के रवैये से नाराजगी
रेलवे के रवैया से लोगों में काफी नाराजगी आए दिन देखने और सुनने को मिल रही है। पिछले कुछ दिनों से रेल फटकों पर गाड़ियों को कुछ मिनट के लिए रोक दिया जाता है। कभी आधी दूरी तय करने के बाद मालगाड़ियों को बीच क्रॉसिंग पर रोका जाता है तो कभी पूरी गाड़ी निकाल कर पिछला हिस्सा फाटक पर रोक दिया जाता है जिसके कारण फाटक खोलते नहीं और लोग आधे- आधे घंटे तक इंतजार करते रहते हैं। कभी दो मालगाड़ियों को एक साथ निकालने के कारण तो कभी मालगाड़ी अथवा यात्री ट्रेन के गुजरने से काफी समय पहले तक फाटक बंद कर दिए जाने के कारण भी लोग हलकान होते हैं। पुराना शहर में तो एक ओवरब्रिज की सुविधा है लेकिन मानिकपुर, शारदा विहार, टीपी नगर सीएसईबी चौक के क्रॉसिंग पर ऐसी कोई भी व्यवस्था नहीं है। उधर, संजय नगर नहर मार्ग में बनने वाला अंडरब्रिज अभी दूर की कौड़ी नजर आ रहा है। ऐसे में चारों तरफ से रेलवे क्रॉसिंग पर जनता फंस रही है, रेलवे के अधिकारियों का रवैया जनता के प्रति उदासीन है तो वहीं पावरफुल जनप्रतिनिधियों का भी कोई जोर दिनों-दिन बढ़ती जा रही ऐसी जन समस्याओं को सुलझाने के मामले में कमजोर नजर आता है।



