👉🏻 फड़ संचालक का दम-क्राइम ब्रांच और पुलिस को देते हैं पैसा
👉🏻गोढ़ी, चाकामार, कोरकोमा के जंगल में हरी, ननकू, भागीरथी, सुकलाल का फड़
कोरबा। जिले के कई ग्रामीण जंगली क्षेत्र इन दिनों जुआड़ियों के लिए किसी स्वर्ग से कम साबित नहीं हो रहे। खुलेआम चल रहे जुआ के फड़ ने न सिर्फ क्षेत्र का सामाजिक माहौल बिगाड़ दिया है बल्कि कर्जदार भी बनाया जा रहा है। प्रतिबंध के बाद भी जुआ का फड़ चल रहा है और प्रति जुआरी 500 रुपये एंट्री फीस लेकर इस फड़ में जुआ खेलने के लिए सुरक्षा से लेकर सारी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि फड़ संचालक प्रत्येक जुआड़ी से 10% नाल भी वसूली कर रहे हैं। नाल वह रकम है जो जुआ संचालक को जुआरी द्वारा दी जाती है। इतना ही नहीं, यदि जुआ खेलते वक्त रुपए खत्म हो जा रहे हैं तो यहां ब्याज पर रुपए देने का भी खेल धड़ल्ले से चल रहा है।
सूत्रों के अनुसार ग्राम गोढ़ी, चाकामार, कोरकोमा के जंगल में जुआ होने की पुख्ता जानकारी मिल रही है। नाम न छापने की शर्त पर बताया गया कि यहां प्रतिदिन लाखों रुपये का दांव लगता है। 52 परी खेल में प्रति घंटे करीब 50 हज़ार रुपये तक की वसूली की जाती है। बड़े पैमाने पर हो रहे इस खेल में स्थानीय से लेकर पड़ोसी जिला व बाहरी क्षेत्रों के खिलाड़ी भी शामिल होते हैं। इसका मुख्य सरगना हरिराम बताया जा रहा है जो यह यह दावा करते फिरता है कि वह क्राइम ब्रांच और पुलिस विभाग के कुछ लोगों को पैसे देता है और उनके दम पर जुआ खेला रहा है। हम उसके दावे की पुष्टि नहीं करते लेकिन दावे में सच्चाई जरूर नजर आती है क्योंकि जिस तरह से यहां जुआरियों का मेला लगता है, वह अपने आप में सन्देहास्पद है कि इनकी मुखबिरी आखिर कैसे चूक रही ?
0 शहर क्षेत्र में भी लग रहे दाँव
ग्रामीण इलाके ही नहीं बल्कि कोरबा शहर के भी कई इलाके जुआरियों से सज रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि जुआरियों के द्वारा सुनसान इलाके का चयन इसके लिए किया जाता है और वह खासकर नदी घाट के किनारे अपनी महफिल सजाते हैं। इन्हें इस बात का इल्म है कि अगर पुलिस किसी सूचना पर छापा मारने आ भी जाए तो वह इस डर से इन पर हाथ नहीं डालेगी कि कहीं धर पकड़ के दौरान कोई नदी में कूद गया या उस रास्ते से गुजर कर डूब गया तो ठीकरा पुलिस पर ही फूटना है। बड़े शातिराना अंदाज में पुरानी बस्ती के आंतरिक और इसके आसपास के क्षेत्र में जुआरी लंबे समय से सक्रिय हैं और मुखबिर सब जानते हैं।



