0 आयोग की समझाईश पर अनावेदक पक्ष द्वारा सोना-चांदी एवं दहेज का लगभग 6 लाख रू. का सामान आवेदिका को वापस किया गया
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक, ने छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में प्रदेश स्तर पर गुरुवार को 350 वी. एवं रायपुर जिले में 169 वी. जनसुनवाई की गई।
गुरुवार की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका ने अपना लिखित आवेदन प्रस्तुत कि आवेदिका के ससुर 03 भाई की संयुक्त स्वामित्व की सम्पत्ति थी। जो लगभग डेढ़ एकड़ की थी। पूरी सम्पत्ति को अनावेदक चाचा ससुर ने अपने अकेले के हस्ताक्षर से जिंदल स्टील कंपनी लिमिटेड रायगढ़ को बिक्रीनामा कर दिया। जिसमें आवेदिका के ससुर व एक अन्य भाई के कोई हस्ताक्षर नहीं है। आवेदिका अपने ससुर के हक की भूमि का हिस्सा सभी अनावेदकगणों से वापस प्राप्त करना चाहती है। आयोग के समक्ष अनावेदक चाचा ससुर ने स्वीकार किया कि उसने केवल अपने हस्ताक्षर से तीनों भाईयों की संयुक्त संपत्ति को जिंदल स्टील लिमिटेड को बिक्री कर दिया। उसने यह भी स्वीकार किया कि उसमे आवेदिका के ससुर ने हस्ताक्षर नहीं किया है। अनावेदक ने बताया कि जिंदल स्टील लिमिटेड ने कहा कि अकेले के हस्ताक्षर से बिक्रीनामा हो सकता है इसलिए हस्ताक्षर कर दिया। अनावेदक के स्वीकारोक्ति से यह स्पष्ट है कि आवेदिका के ससुर के जानकारी के बिना उनकी जमीन कंपनी ने फर्जी तरीके से अपने नाम चढ़ा लिया है। जिसपर एफ.आई.आर. किया जा सकता है। शेष अनावेदकगणों को पुलिस के माध्यम से उपस्थित का आदेश आयोग द्वारा दिया गया तत्पश्चात् प्रकरण आगामी सुनवाई हेतु रखा जायेगा।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उनके मकान में आवेदिका किरायेदार थी। 02 साल से किराया नहीं दे रही थी, जिसपर थाना पुरानी बस्ती में शिकायत दर्ज करवाया गया था और 31 जुलाई 2025 में अनावेदिका को मकान खाली करना था। उनके द्वारा 31 अक्टूबर 2025 को मकान खाली कर दिया गया। जिसका किराया अभी तक नहीं मिला है। दोनो पक्षों को समझाईश दिया गया कि यदि दोनो पक्षों के मध्य सुलहनामा हो जाता है तो दस्तावेज प्रस्तुत करने पर प्रकरण नस्तीबध्द कर दिया जायेगा।
एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि वह अनावेदक की दूसरी पत्नी है। अनावेदक की पूर्व पत्नी का निधन हो चुका है। अनावेदक की पूर्व पत्नी की भी संताने है। इन सभी का पालन-पोषण दूसरी पत्नी के द्वारा ही किया गया है। आवेदिका के दोनो बेटो का निधन हो चुका है व एक पुत्री जिसका विवाह हो गया है। आवेदिका व अनावेदक के मध्य आयेदिन झगड़ा व विवाद होता रहता है। आवेदिका के पालन-पोषण का कोई स्त्रोत ना होने से वह अनावेदक(पति) पर निर्भर है। अनावेदक की अपनी स्वअर्जित सम्पत्ति में 08 एकड़ जमीन तथा 03 मकान है। आयोग के द्वारा समझाईश दिये जाने पर अनावेदक आवेदिका को एकमुश्त भरण-पोषण हेतु अपने 02 एकड़ की जमीन व 01 मकान देने के लिए तैयार हुआ। सम्पत्ति के दस्तावेज के साथ अनावेदक को आगामी सुनवाई में उपस्थित रहने कहा गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बाताया कि आवेदिका व उसका पति एक ही जाति का होने के कारण अनावेदक पक्ष आवेदिका से दूरी बनाये रखने का दबाव बना रहे है, गांव से निकालने की धमकी, नौकरी से निकालने की धमकी व पति को ना छोड़ने पर नौकरी से निकालने की धमकी दी जा रही है। आज की सुनवाई के दौरान अनावेदकगणों ने स्वीकारा की आवेदिका के ससुराल वालों से उन लोगो ने 60 हजार रू. प्राप्त किया, जिससे समाज वालो ने बकरा-भात भी खाये। आयोग की समझाईश पर अनावेदक पक्ष गांव में आपसी सलाह मशवरा कर आयोग के समक्ष आवेदिका के साथ सुलहनामा व पैसे वापस करने के लिए तैयार हुए।
एक प्रकरण के दौरान आवेदिका ने बताया कि अनावेदकगणों की प्रताड़ना से आवेदिका की बहन ने विवाह के 02 माह बाद ही आत्महत्या कर ली। सामाजिक बैठक में आवेदिका और उसके पिता को अपमानित किया गया। आयोग के समक्ष सुनवाई में आवेदिका ने बताया कि उसकी बहन की आत्महत्या के बाद मृत्यु हुई थी जिस पर थाना-जामुल ने अब तक कोई कार्यवाही नहीं किया। आवेदिका अपनी मृत बहन के विवाह में दिये गये गहने व सामान अनावेदक पक्ष से वापस चाहती थी। आयोग की समझाईश पर आवेदिका की सूची अनुसार आयोग के समक्ष अनावेदक पक्ष द्वारा सोना-चांदी एव ंदहेज का लगभग 06 लाख का सामान आयोग के समक्ष आवेदिका को वापस किया।



