कोरबा-गेवरा। कोयला खदान विस्थापन प्रभावित नरईबोध, भस्माखार एवं अन्य ग्रामों की समस्याओं व समस्त मांगों का निराकरण नहीं होने पर 25 फरवरी से 30 मार्च तक गेवरा खदान बंद आंदोलन की सूचना मुख्य महाप्रबंधक, एसईसीएल गेवरा क्षेत्र
को दी गई है।
क्रमबद्ध हड़ताल की सूचना पर आज सोमवार को गेवरा परियोजना के एरिया ऑफिस में बैठक हुई जिसमें एपीएम,L &R ऑफिसर,सिविल ऑफिसर उपस्थित हुए। भूविस्थापित प्रतिनिधियों के साथ चर्चा के दौरान वैकल्पिक रोजगार के संबंध में कोई भी सकारात्मक पहल नहीं हुई जो कि वर्तमान की सबसे बड़ी समस्या है। इसलिए प्रभवित क्षेत्रवासियों को सूचित किया गया है कि कल 25 फरवरी मंगलवार को हड़ताल करना निश्चित हुआ है। प्रातः 8 बजे सभी लोग खदान में उतरकर कामकाज रोकेंगे। कहा गया है कि पांच ड्राइवर वाला खेल यहीं पर बंद कर दें और जितने भी लोग हड़ताल में होंगे उनके लिए तत्काल रोजगार की व्यवस्था की जाएगी। हड़ताल में उपस्थित सभी लोग आवाज उठाएंगे। नरईबोध और भस्माखार वासियों ने यह सब निश्चय किया है। एसईसीएल अधिकारियों के साथ बैठक में मुख्य रूप से ग्रामवासी दिनेश साहू ,रमेश दास, उत्तम दास विवेक दास ,वीरेंद्र भट्ट ,जय कौशिक, अश्वनी यादव ,देवनारायण चौहान ,सनी साह ,अरुण नन्हेट, दिलहरण चौहान ,चेतन केवट ,नेतराम कौशिक शामिल थे।
इन्होंने कहा- हमारा उद्देश्य है कि चाहे जैसे भी हो गांव वालों को हर सुख सुविधा और सभी अधिकार मिले। हम किसी भी राजनीतिक पार्टी या संगठन का विरोध नहीं करते, सब का समर्थन करते हैं किंतु गांव का विकास होना चाहिए।
0 प्रबन्धन के रुख पर आगे क्रमबद्ध आंदोलन
इन्होंने बताया कि 25 फरवरी की हड़ताल के पश्चात सकारात्मक पहल नहीं किए जाने पर 28 फरवरी और फिर मार्च माह के 02,05,08,12, 15,20,24,26,28 व 30 तारीख को ऐसे ही क्रमबद्ध हड़ताल कर संपूर्ण गेवरा खदान बंद की जाएगी, अथवा 02 मार्च व 05 मार्च को भस्मखार में बने साइलो को बंद कराकर हड़ताल किया जाएगा जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी गेवरा प्रबंधन की होगी।
0 आश्वासन के अतिरिक्त और कोई भी कार्य नहीं
नाराजगी इस बात पर है कि विस्थापन प्रभावित ग्राम नरईबोध, भस्माखार एवं अन्य ग्रामों की समस्याओं के संबंध में गेवरा परियोजना के द्वारा वर्तमान दिनांक तक किसी भी प्रकार की सुविधा अथवा मांग पर कोई भी सकारात्मक पहल नहीं की गई है जबकि पूर्व में की गई हडताल के उपरांत 15 दिन के अंदर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया था। गेवरा परियोजना के द्वारा आश्वासन के अतिरिक्त और कोई भी कार्य नहीं किए गए जो कि निंदनीय है। वैकल्पिक रोजगार, ब्लास्टिंग, पानी, ड्रम और स्ट्रीट लाइट इन छोटी-छोटी मांगों के लिए कई साल से हड़ताल किए जा रहे हैं, गेवरा परियोजना के एरिया जीएम, प्रोजेक्ट जीएम, L&R ऑफिसर इनके साथ कई बार ऑफिस में मीटिंग किया गया है, किंतु मीटिंग के पश्चात अभी तक झूठा आश्वासन देने के सिवाय कोई भी कार्य नहीं किया गया है। इसी प्रकार की छोटी-छोटी मांग अभी तक पूरी नहीं हुई है तो कैसे सोच लें की secl गेवरा परियोजना बसाहट, मुआवजा, रोजगार जैसे बड़ी मांगें दे पाएगी…! अर्जन के पश्चात विकास का नामोनिशान देखने को नहीं मिला, चारों तरफ केवल भष्टाचार और विनाश दिखाई दे रहा है।
इसी कारण हड़ताल की सूचना देकर पुनः प्रबन्धन का ध्यानाकर्षण कराया जा रहा है लेकिन विस्थापन प्रभावित ग्रामों की समस्याओं के निराकरण के प्रति एसईसीएल प्रबंधन गंभीरता से काम नहीं कर रहा है।