0 गाँधी चौक में तूफान से गिरी डाल काटने में छूटे पसीने,निजी खर्च पर मंगाना पड़ा वुडकटर
कोरबा। नगर पालिक निगम, कोरबा एक स्वायत्तशासी संस्था है जिसका बजट बढ़ते-बढ़ते करीब 9 अरब तक पहुंच चुका है। साधनों और संसाधनों से पूर्ण कहे जाने वाले नगर निगम का आलम यह है कि आंधी-तूफान के दौरान गिरने वाले वृक्षों की विशालकाय डालियों को काटने के लिए उसके पास एक कटर मशीन तक नहीं है। आधुनिक मशीनरी के युग में अभी भी कुल्हाड़ी से काम चलाया जा रहा है। कुल्हाड़ी की जरूरत तो पड़ती है लेकिन छोटे-मोटे कटिंग कार्यों के लिए, किंतु जब बात बड़ी डालियों अथवा वृक्षों की आती है तो यहां अब कुल्हाड़ी काम नहीं आती और ना ही कुल्हाड़ी से इस तरह की कटिंग करने वाले अनुभवी लोग हैं।
ऐसा नजारा पेश आया शहर के मध्य कोरबा जोन अंतर्गत गांधी चौक परिसर में। रविवार को सुबह करीब 10 से 11 बजे के बीच यहां मौजूद पीपल-बरगद के 100 साल से भी पुराने विशालकाय वृक्ष की बड़ी सी भारी भरकम डाल टूटकर परिसर में ही गिर पड़ी।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष गिरी इस विशाल डाल ने परिसर के किनारे पर बनी रेलिंग को भी क्षतिग्रस्त कर दिया और ऊपर से गुजरे बिजली के तार भी क्षतिग्रस्त हो गए। यह बड़ा ही सौभाग्य रहा कि इस घटना के वक्त परिसर में कोई भी मौजूद नहीं था अन्यथा सामान्य दिनों में यहां बच्चे खेलते और बड़े-बुजुर्ग छांव में बैठे नजर आ जाते हैं।
स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना बिजली विभाग के साथ-साथ नगर निगम को भी दी लेकिन अवकाश के कारण कोई अमला मौके पर नहीं पहुंचा। विद्युत विभाग से जुड़े लोगों ने पहुंचकर वैकल्पिक व्यवस्था बनाई।स्थानीय लोगों ने सड़क तक गिरी डाल की छोटी-छोटी टहनियों को अपने स्तर पर काटकर अलग किया लेकिन बड़ी डाल काटने के लिए संसाधन की जरूरत थी।
आज सोमवार को कई सूचनाओं के बाद नगर निगम से आनंद राठौर कुछ लोगों के साथ मौके पर पहुंचे, उनके द्वारा लाए गए लोगों ने कुल्हाड़ी की मदद से बड़ी डाल को काटने की तमाम कोशिश की और पसीना-पसीना हो गए लेकिन डाल को काट नहीं सके। यहां निवासरत केशर सिंह राजपूत ने स्वयं के खर्चे से कटर मशीन मंगवाया तब जाकर बड़ी डाल को काट पाने में सहूलियत हुई। गांधी चौक परिसर से बड़े डाल को टुकड़ों में काट कर हटाने का कार्य शुरू हुआ। इस दौरान यहां पार्षद टॉमेश अग्रवाल भी मौजूद रहे। बिजली विभाग के कर्मचारी भी उपस्थित रहे। लोगों ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि नगर निगम जो अरबों का बजट रखता है, लेकिन उसके पास बमुश्किल 15 से 20 हजार में आने वाली कटर मशीन उपलब्ध नहीं है,जबकि इसकी जरूरत ऐसे कार्यों के लिए अक्सर पड़ती रहती है। अगर वुडकटर मशीन है तो लाया क्यों नहीं गया…?

बताते चलें कि कुछ दिन पहले ही मुख्य मार्ग की ओर इसी पीपल पेड़ की एक टहनी टूटकर गिरी और तार में अटक कर सड़क पर लटकते रही। तीन दिन तक यह नजारा मुख्य सड़क पर बना रहा लेकिन सूचना के बाद भी और यहां से नगर निगम के अधिकारियों का गीतांजलि भवन आने-जाने के दौरान यह नजारा देखने के बाद भी इसे हटवाने की जहमत नहीं उठाई गई। बाद में स्थानीय लोगों ने ही उसे कटवा कर हटाया।