0 सजा किस बात की- दबाव में काम नहीं करने या कार्रवाई के वक्त राहत देने की..?
कोरबा। जिला पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी ने जिले के बांगो थाना में पदस्थ महिला निरीक्षक उषा सोंधिया को निलंबित कर दिया है। उनके साथ-साथ थाना के प्रधान आरक्षक जितेंद्र जायसवाल का भी निलंबन किया गया है। इन दोनों पर अनुचित तरीके से रुपए प्राप्त करने सहित जनप्रतिनिधियों की बातों को नहीं मानने, उनसे दुर्व्यवहार करने का गंभीर आरोप लगा है।
एसपी को शिकायत मिली थी।शिकायत पत्र की गंभीरता को देखते हुए रविन्द्र कुमार मीना नगर पुलिस अधीक्षक, सायबर सेल से जांच कराई गई। जांच पर लिये गये कथनों के आधार पर सचिन कुमार मिश्रा से अनुचित तरीके से निरीक्षक उषा सोधिया एवं प्र.आर.03 जितेन्द्र जायसवाल, थाना बांगो द्वारा 10,500/-रू. प्राप्त कर संलिप्तता प्रथम दृष्टिया मिली है। एसपी ने कहा है कि विभागीय नियमों/निर्देशों की भलीभांति जानकारी होने के बावजूद भी सचिन कुमार मिश्रा से अनुचित तरीके से रकम प्राप्त कर पदीय दायित्वों/कर्तव्यों के पालन में बरती गई घोर लापरवाही, संदिग्ध कार्यशैली, अनुशासनहीनता, कर्तव्यविमुखता एवं स्वेच्छाचारिता बरतने के लिये निरीक्षक उषा सौंधिया व प्रधान आरक्षक जितेन्द्र जायसवाल को 15 अप्रैल की अपरान्ह से निलंबित किया गया है। निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय रक्षित केन्द्र, कोरबा रहेगा।
0 इन्होंने की थी शिकायत
श्रीमती माधुरी देवी,अध्यक्ष जनपद पंचायत, पोड़ी उपरोड़ा व 3 सरपंच,2 जनपद सदस्यों ने 12 अप्रैल को पुलिस अधीक्षक से शिकायत की थी कि श्रीमती उषा सोंघिया (पुलिस निरीक्षक) थाना प्रभारी बांगो की भ्रष्ट कार्य प्रणाली की वजह से क्षेत्रवासियों में काफी रोष व्याप्त है और परेशान हैं और समय-समय पर इनके द्वारा वाहन चेकिंग व शराब पकड़ने के नाम पर अवैध वसूली किया जाता है व स्थानीय जनप्रतिनिधियों के विरोध करने पर उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। भारतीय जनता पार्टी को बाहरी व बिहारी की पार्टी बोलकर दुष्प्रचार किया जाता है। इनके रहने से शासन की छवि धूमिल हो रही है जिससे इनका स्थानांतरण करना अति आवश्यक है। इसी शिकायत की जांच पर कार्रवाई हुई।
0 अब जानें क्या है असल मामला
थाना सूत्रों के मुताबिक दरअसल, यह घटनाक्रम 9 अप्रैल का है जब सचिन कुमार मिश्रा अपने tvs बाइक पर साथी के साथ अम्बिकापुर जाने निकला था। एसपी के निर्देश पर वाहन चेकिंग के दौरान सचिन शराब पिये हालत में मिला जिस पर कार्रवाई की गई। मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 185 के तहत कार्रवाई कर बाइक को जप्त किया गया। चूंकि चालान कट चुका था, लेकिन इस दौरान सचिन ने बांगो के कुछ जनप्रतिनिधियों से गाड़ी छोड़ने एप्रोच लगवाया जो कार्रवाई हो जाने के कारण काम नहीं आया। टीआई ने कोर्ट में चालान पेश होने की बात कही जिस पर सचिन ने फिलहाल बाइक छोड़ देने का आग्रह किया क्योंकि वक्त भी हो रहा था और उसे अम्बिकापुर जाना था किंतु दूसरा कोई साधन नहीं था। कथित हालातों को समझकर टीआई ने उसे राहत दी कि चालान की राशि 10,500 रुपये जमा करा दे तो गाड़ी छोड़ देंगे। सचिन के पास नगदी नहीं था तो यह रकम फोन पे के जरिये ट्रांसफर कराई गई और उसी दिन यह पूरी राशि थाना की पंजी में जमा कर दी गई। इसके बाद छुट्टियां पड़ जाने से मामला न्यायालय में पेश नहीं किया जा सका और 12 अप्रैल को शिकायत हो गई। इस पूरे मामले में जनप्रतिनिधियों के कहने पर गाड़ी नहीं छोड़ना और कार्रवाई की चालानी रकम फोन पे के जरिये प्राप्त करना निलम्बन की वजह बन गया।