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SECLन्यायालय की अवहेलना कर रहा,विरोध में ग्रामीण

ग्राम खम्हरिया के कृषि भूमि सहित आवासीय भूमि का समतलीकरण की शिकायत

हाईकोर्ट और कलेक्टर के निर्देशों की अवहेलना का लगा आरोप

कोरबा-कुसमुंडा। ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति ने खम्हरिया ग्राम में अन्य अर्जित ग्रामो को एसईसीएल कुसमुंडा द्वारा पुनर्वास देने के लिए समतलीकरण के मामले में माननीय उच्च न्यायालय एवं कलेक्टर जिला कोरबा के दिशा निर्देश का परिपालन कराने की मांग करते हुए पत्र लिखा है ।
इसकी जानकारी देते हुए संगठन के अध्यक्ष सपूरन कुलदीप ने बताया है कि एस.ई.सी.एल.कुसमुंडा द्वारा ग्राम – खम्हरिया के कृषि भूमि सहित आवासीय भूमि का समतलीकरण कर अपने अन्य अर्जित ग्रामो को पुनर्वास दिया जा रहा है जिसके संबंध में हाई कोर्ट और कलेक्टर से शिकायत करते हुए रोक लगाने की मांग की गई थी और माननीय हाईकोर्ट तथा तत्कालीन कलेक्टर श्री संजीव झा ने एसईसीएल प्रबन्धन को गांव में रोजगार, पुनर्वास मुआवजा सहित बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश जारी किया था जिसका पालन किये बगैर ही प्लाटिंग करने की कार्यवाही को आगे बढ़ाया जा रहा है जिसके विरुद्ध कलेक्टर से शिकायत किया गया है ।
उन्होंने अपने पत्र में उल्लेखित किया है कि राज्य के कोयला खदान के विकास हेतु भारत सरकार के अधिसूचना क्र. एस.ओ. 638 ई दिनांक 09.11.1978 के अंतर्गत ग्राम खम्हरिया तहसील कटघोरा जिला कोरबा छ.ग. के किसानो की भूमि का अधिग्रहण किया गया था । उक्त भूमि को मध्यप्रदेश भू-राजस्व सहिता 1959 की धारा 247/1 के तहत भूमि का अधिग्रहण किया गया था और एस.ई.सी.एल. (तत्कालिन पश्चिमी कोयला प्रक्षेत्र ) कुसमुण्डा कालरी के प्रबंधक द्वारा तत्कालिन अतिरिक्त कलेक्टर कोरबा म.प्र. को भूमि के सतह को कोयला उत्खनन के लिए दखल करने हेतु म.प्र. भू-राजस्व सहिता 1959 कि धारा 247/3/ के तहत अनुमति चाही गई थी जिसपर न्यायालय अतिरिक्त कलेक्टर कोरबा म.प्र. राजस्व प्रकरण क्र.1 / अ-67/82-83 दिनांक 27/04/1983 को आदेश पारित कर पाँच बिंदुओ के शर्तों के आधार पर दखल करने का अधिकार दिया गया था- माननीय न्यायालय अतिरिक्त कलेक्टर कोरबा म.प्र. के द्वारा उल्लेखित शर्तों के अनुसार पारित आदेश 27/04/1983 के बाद 20 वर्षों के बाद उत्खनन् हुए क्षेत्र एवं आवास गृह, रेलवे लाईन सडक आदि निर्माण के लिए चाही गई जमीन को 60 वर्षो के बाद भू-स्वामियों को वापस करना होगा | संबंधित मूल खातेदार को भूमि के वापसी तक भू-राजस्व शासन द्वारा निर्धारित आधार पर अदा करना होगा विस्थापित परिवारो को आवश्यक सुविधाए कंपनी द्वारा उप्लब्ध कराया जाएगा। राज्य शासन द्वारा समय-समय पर बनाए गये नियम व शर्तों के लिए कंपनी बंधन कारी होगा।

उक्त ग्राम में मूल किसान अभी भी यथावत काबिज हैं और वो पूर्ववत मकान में निवास कर रहे हैं एवं कृषि कार्य कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। उक्त गाँव में एस.ई.सी.एल. द्वारा कोई भी बुनियादी सुविधाएँ नही दी गई है और आज भी रोजगार के कई प्रकरण लंबित है। वर्तमान में नया भू-अधिग्रहण अधिनियम 2013 भी लागू हो चुका है। एस. ई.सी. एल कुसमुंडा प्रबंधन का कथन है कि गाँव का कोल बेरिंग एक्ट के तहत 1960 में भूमिगत कोयला दोहन के लिए अर्जन किया गया था और 1983 में सतही दखल करने हेतु पुन: अर्जन किया गया | किन्तु आज पर्यंत तक एस. ई.सी. एल कुसमुंडा प्रबंधन मुआवजा पत्रक एवं सबंधित दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पायी जिससे यह स्पष्ट होता |

माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर ने ग्रामीणों के याचिका को अस्वीकार करते हुए एस. ई.सी. एल कुसमुंडा प्रबंधन के तर्क का लाभ देते हुए खारिज कर दिया , उस आदेश में स्पष्ट किया गया है कि याचिकाकर्ताओं को पुर्नवास नीति का पूरा लाभ दिया जाये। गाँव का पुनर्वास , मुआवजा ,रोजगार सहित अन्य सभी बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराने का स्पष्ट निर्देश दिया गया है | इसी तरह से तत्कालीन कलेक्टर संजीव झा द्वारा दिनाँक 11.05.2023 को निर्देश दिया गया था जिसका पालन किये बगैर ही ग्रामीणों के भारी विरोध के बावजूद समतलीकरण की कार्यवाही को जारी रखा गया है | उच्च न्यायालय बिलासपुर एवं कलेक्टर कोरबा द्वारा दिए गए निर्देश का पालन कराने व जब तक निराकरण न हो समतलीकरण के कार्य पर रोक लगाया जाना चाहिए

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