कोरबा। SECL की कोरबा जिले में संचालित गेवरा परियोजना से प्रभावित ग्राम मलगांव में भू विस्थापित ग्रामीणों और प्रबंधन के बीच गतिरोध जारी है। ग्रामीणों के द्वारा उचित मुआवजा निर्धारित कर पूर्ण रूप से वितरण, नौकरी और उचित व्यवस्थापन देने की मांग की जा रही है। ग्राम मलगांव में करीब 18 करोड़ रुपए फर्जी मुआवजा वितरण का मामला अभी सीबीआई की जांच में है इसकी शिकायत किए जाने के बाद सीबीआई की जांच कहां तक पहुंची है, यह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं है लेकिन जांच चल रही है। पिछले दिनों ग्रामीणों ने विभिन्न मांगों को लेकर CMD बिलासपुर कार्यालय में ज्ञापन सौंपा। अभी ज्ञापन सौंपने को एक सप्ताह भी नहीं बीता है कि मांगों का निराकरण तो दूर मुआवजा के विषय में भी बात करने को अधिकारी तैयार नहीं है।
गतिरोध के मध्य आज शुक्रवार को सुबह के वक्त एसडीएम की गाड़ी गाँव पहुंची। दीपका तहसीलदार अमित केरकेट्टा के साथ केसीसी कंपनी के मुंशी विकास दुबे अपने लोगों को लेकर घरों को तोड़ने के लिए पहुंचे। ग्रामीणों में इस बात को लेकर नाराजगी देखी गई की secl व प्रशासन उनकी मांगों और समस्याओं का समाधान नहीं कर रहा है, मुआवजा की शिकायतों का निराकरण नहीं हो रहा है और जब देखो तब घर तोड़ने के लिए पहुंच जाते हैं। उन्होंने secl प्रबंधन के साथ-साथ खनन कार्य का ठेका प्राप्त kcc कंपनी के विकास दुबे व उसके लोगों की दादागिरी पर भी नाराजगी जाहिर की।
ग्रामीणों का आरोप है कि यहां बात प्रबंधन और प्रशासन के बीच की है और बार-बार kcc कंपनी से विकास दुबे को लेकर आने का औचित्य क्या है,क्या भय का माहौल निर्मित करना चाहते हैं..! ग्रामीणों में इस तरह के रवैये को लेकर काफी आक्रोश व्याप्त है। उनका कहना है कि हमारी मांगों का निराकरण हो जाए, हम स्वयं गांव खाली करके चले जाएंगे लेकिन दूसरी तरफ उनकी इस बात को अनसुना करके मुआवजा का कोई भी प्रकरण विवादित या लंबित नहीं होना बताकर घरों को खाली करने व तोड़ने पर ध्यान दिया जा रहा है।
बताते चलें कि इसी ग्राम पंचायत मलगांव में फर्जी तौर पर निवास और आवास होना बताकर करोड़ों रुपए का मुआवजा परिजनों के नाम से हासिल करने का गंभीर आरोप एसडीएम कार्यालय के बाबू मनोज गोविल और कथित श्रमिक नेता श्यामू जायसवाल पर लगा है। इनके ऊपर शिकायत की जांच भी लंबित है।
सारी जांच और घटनाक्रम ग्राम पंचायत मलगांव के अस्तित्व से लेकर जुड़ा हुआ है और जब मलगांव का अस्तित्व खत्म हो जाएगा तो जांच की दिशा और दशा भटकना लाजमी है। शिकायतकर्ताओं से लेकर ग्रामवासी फर्जी मुआवजा मामले की शीघ्र जांच और दोषियों पर कार्रवाई करते हुए फर्जी मुआवजा राशि को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। विचारणीय बात यह है कि यह क्षेत्र कटघोरा विधानसभा के अंतर्गत आता है और यहां के विधायक भाजपा के प्रेमचंद पटेल हैं लेकिन इस पूरे मामले में वह कहीं नजर नहीं आते। अन्य जनप्रतिनिधियों का भी कमोबेश यही हाल है जो भूविस्थापितों को उनके हाल पर छोड़कर प्रबंधन व प्रशासन की मार तथा ठेका कंपनी की दादागिरी झेलने के लिए छोड़ दिए हैं। अंजाम क्या होगा यह तो नहीं पता लेकिन इसका आगाज कुछ ठीक नहीं है।
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