0 ननकीराम कंवर के एक और पत्र पर प्रशासनिक अनदेखी से बढ़ रही अवैध गतिविधियाँ
कोरबा। औद्योगिक जिला कोरबा में अवैध रेत खनन और उसके परिवहन का धंधा दिन-ब-दिन बेलगाम होता जा रहा है। जीवनदायिनी हसदेव और अहिरन नदी से अवैध रूप से रेत निकाली जा रही है, भंडारण नियमों का पालन नहीं हो रहा, और सरकार को मिलने वाली रॉयल्टी की बड़े पैमाने पर चोरी की जा रही है। शासन के स्पष्ट निर्देशों और हाईकोर्ट की सख्ती के बावजूद इस पर रोक नहीं लग पा रही है। प्रशासन की निष्क्रियता और राजनीतिक संरक्षण के कारण यह माफिया दिन-ब-दिन और मजबूत हो रहा है।
0 शासन का आदेश और उनकी अनदेखी
28 मार्च 2025 को जारी छत्तीसगढ़ शासन के खनिज विभाग के पत्र के अनुसार, अवैध खनन, उपयोग और परिवहन से राज्य को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। इस पत्र में पूर्व मंत्री ननकी राम कंवर द्वारा 24 दिसंबर 2024 को लिखित शिकायत का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने अवैध खनन से हो रहे नुकसान को लेकर चिंता जताई थी।
उक्त शिकायत में मेजर एवं माईनर खनिज के उत्खनन, उपयोग एवं परिवहन के संबंध में नेशनल ग्रीन ट्रियूबनल व पर्यावरण संरक्षण मण्डल के द्वारा समय-समय पर जारी दिशा निर्देशो का पालन नहीं करने, प्रदेश के कई खानों में गंभीर अपराध करने, रेत का अवैध उत्खनन जेसीबी मशीन लगाकर करने, प्रदेश में विभिन्न फैक्ट्रीयों से राखड़ के अत्याधिक उत्पादन से आम जनता के जनजीवन के स्वास्थ्य में गंभीर प्रभाव, राहगीरों के आंख एवं शरीर में पड़ने से गंभीर एक्सीडेंट से मौतें होने के संबंध में लेख किया गया है।
उपरोक्त शिकायत के परिप्रेक्ष्य में खनिजों के अवैध उत्खनन / परिवहन/भण्डारण पर सतत् कार्यवाही एवं मॉनिटरिंग हेतु संचालनालय स्तर पर पत्र दिनांक 23.11.2022, 07.08.2023, 16.08.2023, 29.08.2023, 20.05.2024, 17.10.2024 एवं मंत्रालय स्तर पर पत्र दिनांक 06.09.2023, 15.01.2024 के माध्यम से दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। उक्त के परिपालन में सभी जिला कलेक्टरों को पुनः निर्देशित किया गया है कि जिले में खनिजों के अवैध उत्खनन/परिवहन/भण्डारण पर सतत् निगरानी रखा जाकर एवं जांच किया जाकर अधिक से अधिक कार्यवाही किया जाना सुनिश्चित करें। निर्देश के बावजूद कोरबा जिले में इस आदेश की खुलेआम अनदेखी हो रही है। होने वाली कभी-कभार की कार्रवाई दिखावा और ऊंट के मुंह मे जीरा के समान है।
0 दिन-रात हो रहा अवैध खनन?
कोरबा जिले में नदियों में JCB व ट्रेक्टर उतारकर बड़े पैमाने पर रेत का अवैध खनन और परिवहन दिन-रात किया जा रहा है। ट्रैक्टर और डंपरों के जरिए यह रेत खुलेआम शहरों और सरकारी, औद्योगिक निर्माण स्थलों तक पहुंचाई जा रही है। कई जगहों पर स्थानीय माफिया सक्रिय हैं, जो राजनीतिक संरक्षण में इस गैरकानूनी कारोबार को अंजाम दे रहे हैं।

भंडारण नियमों का उल्लंघन भी धड़ल्ले से हो रहा है। शासन के नियमों के अनुसार, रेत का भंडारण निर्धारित स्थलों पर ही किया जाना चाहिए, लेकिन कोरबा में बिना अनुमति के कई स्थानों पर अवैध रूप से रेत का भंडारण किया जा रहा है। कुदुरमाल, बांकीमोंगरा, कुसमुण्डा, भिलाईखुर्द आदि स्थानों में इसे सहज ही देखा जा सकता है। कुदुरमाल में तो 200 रुपये प्रति ट्रेक्टर एंट्री फीस लेने की भी खबर है।
0 राजस्व की हो रही है भारी हानि

अवैध खनन और परिवहन के कारण सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। रॉयल्टी न देने से राज्य सरकार को जो आमदनी होनी चाहिए थी, वह पूरी तरह से खनन माफिया की जेब में जा रही है। अगर इस पर तत्काल अंकुश नहीं लगाया गया तो भविष्य में यह समस्या और विकराल रूप धारण कर सकती है।
0 पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी खतरे
अवैध रेत खनन केवल आर्थिक नुकसान ही नहीं पहुंचा रहा, बल्कि इससे पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान हो रहा है। नदियों के गहरे होने के साथ किनारे की सतहें कमजोर हो रही हैं, जिससे जल स्रोतों के सूखने का खतरा बढ़ रहा है। जल संरक्षण संस्थानों और पर्यावरणविदों के अनुसार, अनियंत्रित खनन से नदियों के जलस्तर में भारी गिरावट आ सकती है, जिससे भविष्य में जल संकट उत्पन्न हो सकता है। साथ ही, धूल और मिट्टी के कणों के कारण आसपास के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है। फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
0 निष्क्रियता के कारण बेलगाम होता खनन माफिया
प्रशासन को लगातार इस अवैध खनन की जानकारी मिल रही है, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही। जब भी कोई अभियान चलाया जाता है, तो वह सिर्फ दिखावे के लिए होता है। स्थानीय खनन माफिया की इतनी सांठगांठ है कि वे हर कार्रवाई से पहले ही सतर्क हो जाते हैं और रेत चोरी का काम जारी रखते हैं।
0 सख्ती का कोई असर जिले में नहीं
हाईकोर्ट ने भी अवैध रेत खनन और परिवहन को लेकर कई बार सख्त टिप्पणियां की हैं, लेकिन इसका कोई असर कोरबा जिले में नहीं दिख रहा है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत के कारण ही यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है?
0 समाधान करने के लिए होने चाहिए ठोस प्रयास
कड़े निगरानी तंत्र की आवश्यकता – अवैध खनन रोकने के लिए जिले में सख्त निगरानी तंत्र विकसित किया जाना चाहिए। ड्रोन और अन्य आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके अवैध खनन स्थलों पर निगरानी रखी जा सकती है।
सख्त दंडात्मक कार्रवाई – अवैध खनन में लिप्त लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सिर्फ चालान काटने से बात नहीं बनेगी, बल्कि ऐसे मामलों में कानूनी कार्रवाई करके दोषियों को जेल भेजना होगा।
पब्लिक हेल्पलाइन और जागरूकता अभियान – अवैध खनन की सूचना देने के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन शुरू की जानी चाहिए, जिससे आम जनता इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठा सके।
पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी तय हो -कोरबा सहित जिन जिलों में अवैध खनन हो रहा है, वहां के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। यदि किसी जिले में लगातार अवैध खनन के मामले सामने आते हैं, तो वहां के संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जानी चाहिए।