0 घोषित प्रत्याशी पर पार्षदों की अनुशासनहीनता अध्यक्ष पर भारी पड़ गई
0 कोयला खदान में हुआ घटनाक्रम भी भारी पड़ गया
कोरबा। 5 जनवरी 2025 को नियुक्ति उपरांत कार्यकाल के महज तीन से चार माह के भीतर ही भारतीय जनता पार्टी ने अपना कोरबा जिला अध्यक्ष बदल दिया। उन्होंने जिला अध्यक्ष मनोज शर्मा का अध्यक्ष पद समाप्त किए जाने अथवा हटाए जाने के संबंध में कोई सूचना तो जारी नहीं की लेकिन संगठनात्मक दृष्टिकोण से गोपाल मोदी को नया जिला अध्यक्ष घोषित करने की सूचना जारी कर दी है।
जिला भाजपा में हुए इस अप्रत्याशित घटनाक्रम की सुगबुगाहट तो करीब एक माह से चल रही थी लेकिन जिले में चुनाव के दौरान घटित हुई राजनीतिक घटनाक्रम का अनुशासनात्मक ठीकरा अंततः जिला अध्यक्ष पर ही फोड़ा गया। सीधे, सरल और सहज स्वभाव के मनोज शर्मा को जिला अध्यक्ष का पद शायद सूट नहीं किया और सबसे बड़ी चूक नगर निगम का सभापति चुनाव के दौरान हो गई। दूसरा मामला पाली के कोयला खदान में हुआ ट्रांसपोर्टर रोहित जायसवाल का हत्याकांड और मण्डल अध्यक्ष की संलिप्तता होना भारी पड़ गया। वैसे पाली के कोयला खदान में भाजपा के ही दो बड़े नेताओं के बीच चली आ रही खंदक की लड़ाई से मौजूदा जिला संगठन, प्रदेश संगठन पिछले करीब छह माह से वाकिफ था लेकिन हत्याकांड की घटना हो जाने का कलंक जिला अध्यक्ष मनोज शर्मा के कार्यकाल में लग गया।
पार्टी सूत्रों की मानें तो सभापति चुनाव व पाली में जो कुछ हुआ, उसके लिए अनुशासनात्मक रूप से जिला अध्यक्ष को ही जिम्मेदार माना गया है। हालांकि करे कोई-भरे कोई वाली कहावत यहां चरितार्थ हो रही है लेकिन भीतरखाने की बात तो वही जान सकते हैं जो इसमें संलिप्त रहे हैं। बहरहाल राजनीति में उतार चढ़ाव तो लगे रहते हैं, चुनाव में हार-जीत भी सिक्के के दो पहलू की तरह काम करते हैं। इसके पहले भी चुनाव में हार-जीत के नजारे पेश आए हैं लेकिन इतनी तेज गति से संगठन का जिला अध्यक्ष बदलने की घटना संभवत: पहली बार हुई है। या तो पार्टी संगठन को मनोज शर्मा पर इस बात का भरोसा नहीं रहा कि वे आगे संगठन को सुचारू रूप से चला पाएंगे या मनोज शर्मा अपने शीर्ष नेताओं को इस बात का भरोसा नहीं दिला पाए हैं कि वे जिला संगठन को चला सकते हैं, कोई अदृश्य तीसरी बात भी हो सकती है। वैसे, पार्टी में होने वाली अनुशासनहीनता के लिए एक अकेले जिला अध्यक्ष पर ही दरोमदार मढ़े जाने को पार्टी के सूत्र व उनके समर्थक उचित नहीं ठहरा रहे। अब हालांकि यह भाजपा संगठन का अपना अंदरूनी मामला है लेकिन 4 महीने के भीतर ही जिला अध्यक्ष बदले जाने को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तो बढ़ गई है। दोनों नेताओं ने संगठन का आदेश माना है।