0 माता शाकंभरी देवी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का हुआ भव्य आयोजन, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि हुए शामिल
कोरबा/पाली:- स्थानीय पुराना पानी टंकी के समीप सर्वोदय नगर में मां शांकभरी देवी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर बीते शुक्रवार को भव्य कलश यात्रा निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में मरार समाज की कुंवारी कन्याएं और महिलाएं शामिल हुई जो आकर्षक हरे और पीले रंग की परिधान में सिर पर कलश लिए भक्तिभाव से कड़ी धूप में आगे बढ़ रही थी। जबकि पुरुष पीले- सफेद वस्त्र धारण किये पारंपरिक वाघों की धुन में भजन गाते एवं नृत्य करते हुए आकर्षक का केंद्र बने हुए थे। यात्रा की शुरुआत ट्रांसपोर्ट नगर स्थित श्रीराम- सीता मंदिर से हुई जो मुख्यमार्ग होते हुए प्राचीन शिवमंदिर, गांधी चौंक, पुराना बस स्टैंड व महामाया मंदिर होते हुए नवनिर्मित मंदिर प्राण प्रतिष्ठा स्थल पर पहुँची। इस आयोजन से नगर का माहौल भक्तिमय हो गया। मंदिर परिसर में कन्याओं व महिलाओं ने परिक्रमा कर जल से भरे कलश स्थापित किये। जहां भोयरा मरार समाज के जिलाध्यक्ष रामफल पटेल के अगुवाई में विधि- विधान से पूजा अर्चना व वैदिक मंत्रोच्चार, अनुष्ठान से वातावरण भक्तिमय हो उठा और श्रद्धालु भक्तिभाव में लीन दिखे। इस दौरान यज्ञ के साथ नौ कन्याओं की गौरी पूजा कर उनके पांव धोकर पूजा कर आशीर्वाद लिया गया तथा समाज के लोगों ने अपने आराध्य देवताओं की पूजा- अर्चना कर उनकी कृपा व अमन चैन खुशहाली की कामना की। कार्यक्रम में शामिल बतौर मुख्य अतिथि कटघोरा विधायक प्रेमचंद पटेल ने संबोधन में कहा कि शाकंभरी माता एक शक्तिशाली और पूज्यनीय अवतार है। जिन्होंने पृथ्वी पर अकाल और गंभीर खाद्य संकट को कम करने के लिए अवतार लिया। शांकभरी माता को सब्जियों, फलों और हरी पत्तियों की देवी के रूप में भी जाना जाता है। वहीं सांसद प्रतिनिधि प्रशांत मिश्रा ने शांकभरी माता की महिमा बताते हुए कहा कि मां शांकभरी, मां दुर्गा की अवतार है। एक समय पृथ्वी पर दुर्गम नामक दैत्य ने हाहाकार मचा दिया था। उस दैत्य ने ब्रह्माजी से चारो वेद चुरा लिए। दैत्यों के हाथ चारो वेद लगने से सभी वैदिक क्रियाएं लुप्त हो गई। इसके परिणाम स्वरूप 100 वर्षों तक वर्षा नही हुई। वर्षा न होने से अकाल पड़ गया। त्राहि त्राहि मचने पर देवताओं ने शिवालिक पर्वत पर मा जगदंबा की घोर तपस्या की। देवताओं की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति मां दुर्गा, मां शाकंभरी देवी के रूप में अवतरित हुई। मां के सौ नेत्र थे। उनके आंसुओं से पूरी धरती में जल का प्रवाह हो गया और सभी सागर एवं नदियां जल से भर गई। मां भगवती ने देवताओं की भूख मिटाने के लिए अपनी शक्ति से पहाड़ियों पर शाक व फल उत्पन्न किये। इस कारण इनका नाम मां शाकंभरी पड़ा। मां शांकभरी ने दुर्गम दैत्य का अंत कर दिया और वेदों को पुनः देवताओं को समर्पित कर दिया। वही नगर पंचायत अध्यक्ष अजय जायसवाल ने कहा कि शांकभरी माता की पूजा- अर्चना से लोगों को स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। माता को खुश करने के लिए सच्चे मन से आराधना और विभिन्न प्रकार के भोग प्रसाद चढ़ाने से मां शांकभरी देवी अपने भक्तों को धन धान्य का आशीर्वाद देती है और इनकी भक्ति करने वालों का घर हमेशा अन्न के भंडार से भरा रहता है। कार्यक्रम में मरार समाज के प्रदेश अध्यक्ष आत्मानारायण पटेल, सुरित राम पटेल सहित समाज के अन्य पदाधिकारी व भारी संख्या में महिला, पुरुष वर्ग उपस्थित थे।