कोरबा-पाली। वैष्णव निवास में बीते मंगलवार 8 अप्रैल से प्रारंभ श्रीमद्भागवत कथा महापुराण ज्ञानयज्ञ सप्ताह के दूसरे दिन बुधवार को कथावाचक नारायण महाराज ने वाराह अवतार, कपिलदेव जन्म और ध्रुव चरित्र के प्रसंगों का वर्णन किया और कथा सुनाई, जिसे सुन कर श्रोता भावविभोर हो गए।
कथावाचक श्री महाराज ने वाराह अवतार का वर्णन करते हुए बताया कि जब सनकादिक ऋषियों ने बैकुंठ धाम के द्वारपालों जय और विजय को तीन- तीन जन्म होने तक राक्षस होने का श्राप देकर भगवान विष्णु के हाथों मृत्यु होकर उद्धार का उपाय बताया, सतयुग में भगवान ने हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु का उद्धार करने के लिए वाराह और नरसिंह का अवतार लिया। त्रेता युग में यही जय- विजय रावण और कुम्भकर्ण बनकर आए जो श्रीराम के हाथों मृत्यु को प्राप्त हुए। द्वापर युग मे कंस और शिशुपाल बने तो श्रीकृष्ण के हाथों इनका उद्धार हुआ। इस तरह तीन जन्मों के पश्चात जय- विजय पुनः बैकुंठ धाम में भगवान विष्णु के पार्षद के रूप में लौट आए। वहीं भगवान विष्णु के पांचवे अवतार कपिल मुनि के जन्म कथा का वर्णन करते हुए कहा कि कपिल मुनि विष्णु के 24 अवतारों में से प्रमुख अवतार है, जिन्हें अग्नि का अवतार भी कहा गया है। कथा के अनुसार सतयुग में कर्दम ऋषि ने सरस्वती नदी के तट पर दस हजार वर्षों तक कठोर तपस्या की। उन्होंने भगवान से ऐसी पत्नी का वरदान मांगा जो गृहस्थ जीवन और भक्ति मार्ग दोनों में साथ दें। भगवान के निर्देश पर उनका विवाह स्वायंभुव मनु की पुत्री देवहूति से हुआ। भगवान विष्णु ने स्वयं उनके पुत्र के रूप में जन्म लेने का वचन लिया। कपिल मुनि के साथ उनकी नौ बहने जो कला, अनुसूईया, श्रद्धा, हविर्भू, गति, क्रिया, ख्याति, अरुंधति और शांति थी। कपिल मुनि ने सनातन धर्म के संरक्षण के लिए अवतार लिया और सांख्य दर्शन तथा कपिल गीता जैसी महत्त्वपूर्ण रचनाओं की रचना की, जिसमे जीवन जीने की कला का ज्ञान समाहित है। नारायण महाराज ने ध्रुव चरित्र के बारे में बताते हुए कहा कि एक बार उत्तानपाद सिंहासन पर बैठे हुए थे। ध्रुव भी खेलते हुए राजमहल में पहुँच गए, उस समय उनकी अवस्था पांच वर्ष की थी। उत्तम राजा उत्तनपाद की गोद मे बैठा हुआ था। ध्रुव जी भी राजा की गोद मे चढ़ने के प्रयास करने लगे। सुरुचि को अपने सौभाग्य का इतना अभिमान था कि उसने ध्रुव को डांटा कि गोद मे चढ़ने के तेरा अधिकार नही है। अगर गोद में चढ़ना है तो पहले भगवान का भजन करके इस शरीर का त्याग कर और फिर मेरे गर्भ से जन्म लेकर मेरा पुत्र बन, तब तू इस गोद मे बैठने का अधिकारी होगा। इस तरह वाराह अवतार, कपिलदेव जन्म व ध्रुव चरित्र कथा के वर्णन का उपस्थित श्रोताओं ने खूब आनंद लिया। आज दोपहर 02 बजे से कथावाचक महाराज द्वारा जड़भरत चरित्र, प्रहलाद चरित्र नरसिंह अवतार, नाम महिमा पर वर्णन किया जाएगा।